विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका कोरोना वायरस मामले पर निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर भारत समेत दुनिया के 62 देश एक साथ हो गए हैं. यह ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन का संयुक्त अभियान है.
इसे लेकर मसौदा तैयार किया गया है जिसे सोमवार से शुरू होने वाले 73वें वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की बैठक में पेश किया जाएगा.इस मसौदे में निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की बात कही गई है. कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के बाद से पहली बार भारत ने आधिकारिक रूप से स्टैंड लिया है. साथ ही महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से उठाए गए कदमों की निष्पक्ष समीक्षा के लिए भी सहमति दी है.
मार्च में हुए जी-20 सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत के पक्ष को लेकर संकेत दे दिया था. उन्होंने डब्ल्यूएचओ में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया था.
http;-विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने की पीएम मोदी की सराहना
कोरोना वायरस की शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान शहर से हुई थी. इसकी वजह से पूरी दुनिया में अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.चीन पर शुरुआती दिनों में इस वारयस के संक्रमण से संबंधित जानकारी छिपाने का आरोप लगा है.
चीन ने इस आरोप का खंडन करते हुए यहां तक कहा कि घातक कोविड-19 वारयस जो वुहान में पाया गया है, वो कहीं और से लाया गया है. चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कोरोना वायरस प्रसार के लिए अमेरिकी सेना पर भी आरोप लगाया था. वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ और उसके डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस पर भी पक्षपात का आरोप लगा है.
73वें वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी. जहां डब्ल्यूएचओ की भूमिका को लेकर जांच के लिए प्रस्तावित मसौदा पेश किया जाएगा. इस बैठक में रूस, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, तुर्की, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका, जापान, भारत समेत 62 देशों का समर्थन प्राप्त है.पर अभी यह तय नहीं है कि वर्चुअल मीटिंग में संगठन के खिलाफ तैयार मसौदे पर किस तरह चर्चा की जाएगी.
प्रधानमंत्री तूफान अम्फन से निपटने के उपायों की समीक्षा,मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह