पहाड़ी क्षेत्रों में मसाला वाली फसल के बीज उत्पादन रकबा बढ़ाने अनूठा पहल

रायपुर-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा पोषित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरिया प्रक्षेत्र सलका में सौंफ का बीज उत्पादन कार्यक्रम शुरू किया गया है। कोरिया जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र सलका में उन्नत किस्म के सौंफ बीज उत्पादन के लिए 8 एकड़ रकबे मंे अजमेर सौंफ-2 का रोपण किया गया है।
अजमेर सौंफ-2 का पौधा बड़ा तथा शाखाओं युक्त होती है जिस पर बड़े आकार के पुष्पछत्रक होते हैं। इसके दाने बड़े होते हैं। यह किस्म 180 से 190 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज क्षमता 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है।

https;-मनीष कौशिक ने 63 किलोग्राम भार वर्ग में तो‍क्‍यो ओलंपिक के लिए किया क्‍वालीफाई

इस उन्नत किस्म का विकास राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केन्द्र, अजमेर द्वारा किया गया है। छत्तीसगढ़ के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में मसाला वाली फसल के बीज का रकबा बढ़ाने के लिए यह अपने आप में पहला एवं अनूठा पहल है। सौंफ से तैयार अनुमानित बीज 2-3 क्विंटल को कृषकों के प्रक्षेत्र में 40-50 हेक्टेयर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन में रबी 2020-21 में लगाया जायेगा।गौरतलब है कि सौंफ मसाले की एक प्रमुख फसल हैं। सौंफ की व्यवसायिक रूप से खेती गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में की जाती है। सौंफ का उपयोग अचार बनाने में और सब्जियों में खुशबू और जायका बढ़ाने में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग औषधि के रूप मे पाचन तंत्र सुधार के लिए किया जाता है।

https;-विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को घोषित किया महामारी

हमसे जुड़े :-

Twitter:https:DNS11502659

Facebook https:dailynewsservices/

 WatsApp https:FLvSyB0oXmBFwtfzuJl5gU