पिथौरा- उच्च न्यायालय छ ग बिलासपुर (high-court)के दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन में आयोजित ई लोक अदालत (Public Court)को सफल बनाने हेतु जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुषमा सावंत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority)के सचिव के साथ पिथौरा न्यायालय के न्यायाधीश कामिनी जायसवाल की उपस्थिति में स्थानीय व्यवहार न्यायालय (Court) परिसर में आज पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों सहित अधिवक्ताओं के साथ बैठक रख रायशुमारी की गई
आयोजित लोक अदालत में अधिक से अधिक मात्रा में राजीनामा के प्रकरण रखे जाने तथा प्रकरण के निराकरण पर चर्चा की गई ,बता दें कि कोरोना कोविड-19 महामारी (Corona Covid-19 Pandemic)के कारण दो नेशनल लोक अदालतों का आयोजन पहले ही निरस्त हो चुका है। फलस्वरूप लंबित मामलों के निराकरण एवं पक्षकारों को (Resolving and the parties)त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की आवश्यकता को ध्यान रखते हुए 11 जुलाई को उच्च न्यायालय (high-court) एवं अधीनस्थ न्यायालय स्तर पर राज्य स्तरीय लोक अदालत (Public Court)को विशेष ई-लोक अदालत का आयोजन होना है।
संसद से सदस्यों को अयोग्य ठहराने के लोकसभा व् विधानसभा अध्यक्षों के अधिकारों की समीक्षा करने को कहा
ई- लोक अदालत जिला एवं तहसील स्तर पर आयोजित की जाएगी। इसमें राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण एवं अन्य व्यवहारवाद प्रकरण तथा अन्य राजीनामा योग्य प्रकरण रखे जाएंगे। लोक अदालत (Public Court) में पक्षकार को लोक अदालत के दिन उपस्थित होना आवश्यक नहीं है। लोक अदालत (Public Court)के पूर्व राजीनामा से संबंधित कार्रवाई के लिए संबंधित न्यायालय (court)में अधिवक्ता के माध्यम से संपर्क स्थापित करना सुनिश्चित करें, ताकि विडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माघ्यम से प्रकरण का समझौता ई-लोक अदालत के दिन सुगमता से किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की प्रशंसा की
इससे लोक अदालत (Public Court) के दिवस पक्षकार एवं अधिवक्ता (Parties and Advocates)को किसी भी प्रकार के कठिनाई का सामना करना न प़ड़े। जो भी पक्षकार राजीनामा के माध्यम से अपने लंबित प्रकरणों को लोक अदालत (Public Court)के माध्यम से निराकरण कराना चाहते हैं वे अपने प्रकरण को संबंधित न्यायालय (Court) में उपस्थित होकर ई-लोक अदालत में रखे जाने निवेदन कर सकते हैं।
बैठक में जानकारी दी गई कि न्यायालय में प्रस्तुत होने वाले मामले जिनमें कोर्ट फीस चस्पा है उन प्रकरणों में लोक अदालत (Public Court) के माध्यम से निराकरण होने पर उक्त प्रकरणों में कोर्ट फीस वापसी का प्रावधान है, साथ ही लोक अदालत में निराकरण (Resolving )होने वाले प्रकरणों में किसी भी न्यायालय (Court) में अपील स्वीकार्य नहीं होती है। लोक अदालत के निर्णय अंतिम होकर दोनों पक्षों को लाभ पहुंचाने वाला होता है।