दिल्ली-भारतीय रेलवे राज्यों की आवश्यकतानुसार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये प्रवासियों के आरामदायक और सुरक्षित आवागमन के लिए प्रतिबद्ध है। राज्यों को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष का पत्र भेजे जाने के बाद विभिन्न राज्यों ने अब तक कुल 63 और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग की है।
कुल 7 राज्यों अर्थात केरल, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू एवं कश्मीर ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग की है। कुल 63 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में से, आन्ध्र प्रदेश ने 3 ट्रेनों, गुजरात ने 1 ट्रेन, जम्मू-कश्मीर ने 9 ट्रेनों, कर्नाटक ने 6 ट्रेनों, केरल ने 32 ट्रेनों, तमिलनाडु ने 10 ट्रेनों और पश्चिम बंगाल ने 2 ट्रेनों की मांग की है। उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी आवश्यकता की जानकारी देनी है।
इस बात पर गौर किया जा सकता है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने 29 मई, 3 जून और 9 जून को इस विषय पर राज्यों को पत्र लिखे और इस बात पर जोर दिया कि भारतीय रेलवे वांछित संख्या के अनुसार श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अनुरोध मिलने के 24 घंटे के भीतर प्रदान करेगी।
भारतीय रेलवे ने राज्य सरकारों को सूचित किया है कि वह राज्यों से मांग प्राप्त होने के बाद 24 घंटे के भीतर श्रमिक स्पेशल ट्रेन प्रदान करना जारी रखेगी। रेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के बारे में अपनी आवश्यकता बताने को कहा है और यह देखने का अनुरोध किया है कि रेल मोड द्वारा बचे हुए व्यक्तियों के आवागमन की प्रस्तावित मांग की अच्छी तरह से रूपरेखा प्रस्तुत की जाए और वह निश्चित हो।
भारतीय रेलवे ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह भविष्य में मिलने वाली किसी भी मांग के अनुसार अतिरिक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेनें प्रदान करेगा। वह उन अतिरिक्त मांगों को भी पूरा करेगा जो बहुत कम समय में अनुमानों से ऊपर उत्पन्न हुई हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि भारतीय रेलवे करीब 60 लाख लोगों को उनके गंतव्य राज्यों तक पहुंचाने के लिए अब तक 4277 से अधिक श्रमिक स्पेशल सेवाएं चला चुका है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनें 1 मई 2020 से चल रही हैं।
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