विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एआरआईईएस), नैनीताल ने भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए ‘स्टेलर वेरीएबिलिटी एवं स्टार फॉर्मेशन का परीक्षण’ विषय पर एकदिवसीय भारत-थाई कार्यशाला का आयोजन किया। दोनों देशों के बीच स्टेलर स्रोतों से लेकर खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी इसका उद्देश्य है।
इस कार्यशाला में दोनों देशों के वैज्ञानिकों एवं छात्रों द्वारा स्टेलर वेरीएबिलिटी, स्टार फॉर्मेशन, स्टेलर एबन्डेंस, अस्थायी कार्यक्रमों एवं इंस्ट्रूमेंटेशन जैसे विभिन्न विषयों पर 14 वार्ता सत्र आयोजित किये गये। थाईलैंड के राष्ट्रीय खगोल विज्ञान अनुसंधान संस्थान, नांजिंग विश्वविद्यालय चीन, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल एवं एआरआईईएस के लगभग 60 प्रतिभागियों ने इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. संतोष जोशी ने अपने स्वागत भाषण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया तथा अंतरिक्ष विज्ञान एवं इंस्ट्रूमेंटेशन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत तथा थाईलैंड के खगोल शास्त्रियों को आमंत्रित किया। डॉ. जोशी ने भारत-थाई सहयोग के तहत मौजूदा एवं योजनाबद्ध क्रियाकलापों पर आधारित एक प्रस्तुति भी की।
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एआरआईईएस के पूर्व निदेशक एवं मुख्य वक्ता प्रो. राम सागर ने दोनों देशों की वित्त-पोषण एजेंसियों की सहायता से जारी द्विपक्षीय कार्यक्रम के महत्व पर संक्षिप्त चर्चा की। कुमाऊं विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एच.सी. चंदोला ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और एआरआईईएस तथा एनएआरआईटी, थाईलैंड के इतिहास के बारे में चर्चा की। प्रो.चंदोला ने भारतीय एवं थाई संस्कृतियों के बारे में भी चर्चा की, जो दोनों देशों के अनुसंधानकर्ताओं को निकट लाती हैं। एनएआरआईटी, थाईलैंड के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता डॉ. डेविड मकर्तीचियान ने कार्यशाला का सार-संक्षेप प्रस्तुत किया तथा समापन भाषण दिया।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने के लिए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा थाईलैंड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान के लिए दो संयुक्त द्विपक्षीय कार्यक्रमों को मंजूरी दी।
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