रायपुर-भाई-बहनों के प्यार का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन आने वाला है, ऐसे में बाजार में रंग बिरंगी राखियां आनी शुरू हो गई है। कभी कोरोना का हॉट स्पाट बन चुके कटघोरा katghora की महिलाएं देशी राखी बनाकर नई मिशाल पेश कर रही हैं। बहनों का प्रेम बनकर इस रक्षाबंधन पर चावल, गेहूं, दाल, धान, पैरा, बांस, कौड़ी, रूद्राक्ष जैसे परंपरागत चीजों से बनी आकर्षक राखियां भाईयों की कलाईयों पर सजेंगी।
कोरबा जिले Korba district के जनपद पंचायत कटघोरा के जननी महिला संकुल संगठन Janani Women’s Package Organization धंवईपुर की महिलाएं चाइनीज राखियों को कड़ी टक्कर देने के लिए छत्तीसगढ़ी थीम पर राखियां बना रही हैं। समूह की 20-25 महिलाएं मिलकर पैरा, दाल, चावल दाने, कौंड़ी और गेहूं दाने से विभिन्न प्रकार की और नये-नये कलात्मक डिजाइन New Artistic Design में राखियां बना रही हैं।
सुरक्षा से स्वरोजगार तक महिलाये हर कदम पर आगे
भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार रक्षा बंधन में स्वदेशी और पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ी स्वरूप देने के लिए लगभग दस हजार राखियां समूह की महिलाएं तैयार कर रही हैं। चीन की प्लास्टिक राखियों से मुक्ति तथा छत्तीसगढ़ी थीम पर बनी राखियां आमजन को स्वतः ही आकर्षित कर रही है। छत्तीसगढ़ी थीम Chhattisgarhi Theme पर बनी राखियों से अपनेपन की अलग ही भावना भाई-बहनों के पवित्र प्रेम Holy love को नई पहचान दे रही है।
जननी महिला संकुल संगठन धंवईपुर की महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे राखियों की खास बात यह भी है कि नये-नये डिजाइन और थीम बनाने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। महिलाएं यू-ट्यूब से देखकर और खुद इनोवेशन Self innovation के नये तरीके सीखकर कलात्मक डिजाइन की संरचना कर रही हें। समूह की महिलाओं ने दस हजार छत्तीसगढ़ी थीम पर राखी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें से पांच हजार राखी अभी तक तैयार हो चुकी है। राखी बनाने के लिए कच्चा सामान स्थानीय बाजार local market से जुटाये गये हें, जिससे राखी बनाने की लागत भी बहुत कम आ रही है।
आर्थिक स्वालम्बन और उधमिता की ओर महिलाओं के बढ़ते कदम पर हुआ कार्यशाला का आयोजन
जननी महिला संकुल संगठन की अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल Deveshwari Jaiswal ने बताया कि समूह की 20-25 महिलाएं मिलकर राखी बनाने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाएं रेशम धागा, मौली धागा से राखी बनाई हैं। इसके अतिरिक्त गेहूं, धान, चावल, मूंग मोर पंख, कौड़ी, शंख तथा पैरा से भी देशी राखी बनाने का काम कर रही हैं।
जननी महिला समूह की महिलाएं कोरोना काल में भी लगभग 20 हजार कपड़े के बने मास्क तैयार किये थे। समूह द्वारा बनी मास्क की सप्लाई जिले भर में की गई थी। समूह की महिलाओ ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए उपयोग होने वाले सेनेटाइजर का उत्पादन production भी किया था। संगठन की महिलाएं घरेलू सामान जैसे तकिया, बच्चों के खिलौने, पापड़, अगरबत्ती, साबुन और मिट्टी से बने सजावट के रंगीन सामान भी बनाते है। समूह की महिलाओं द्वारा अन्य सामानों में फेंसिंग पोल, जाली, ट्री गार्ड (बांस के बने) आदि का भी निर्माण किया जा रहा है।
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