महासमुन्द-जहां, एक ओर जिला तंबाकू नशा मुक्ति केंद्र दल और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अमले ने सभी विकासखंडों में लगातार चालानी कार्यवाही करते हुये सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों की खरीद-बिक्री नियमों का उल्लंघन करने वालों पर चाबुक चला रखा है। वहीं, अब जिले में ई सिगरेट की धर-पकड़ की कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के निर्देशानुसार बुधवार और गुरूवार 12 एवं 13 फरवरी 2020 को क्रमशः सरायपाली, बसना और महासमुंद विकासखंड़ों में दो दर्जन से अधिक संस्थानों में दबिश दी गई। पान दुकान, राशन-गल्ला किराना, मैडिकल स्टोर्स सहित होटल्स एवं रेस्त्रां में जांच कर नियमों की जानकारी दी गई। साथ ही 09 संस्थानों में कोट्पा अधिनियम 2003 की धारा 04 एवं 06 के तहत 14 चालान काट कर जुर्माना भी वसूल किया गया और लोगों में जागरूकता लाने के लिये मौके पर फ्रेंडली व्यवहार का परिचय देते हुये प्रावधान अनुसार हाथों-हाथ कोट्पा अधिनियम के चेतावनी बोर्ड भी चस्पा किये गये।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि शासन स्तर से मिले निर्देशानुसार जिले में ई सिगरेट की खोज-बीन भी शुरू कर दी गई है। बुधवार 12 फरवरी 2020 की कार्यवाही के दौरान औषधि निरीक्षक अवधेश भारद्वाज ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानों में गहनता से जांच-पड़ताल की गई। निरीक्षण के दौरान जमा-तालाशी देकर वस्तुस्थिति के संबंध में अवगत कराते हुये पंचनामे भी निर्मित किये गये। लेकिन, अभी तक सरायपाली और बसना क्षेत्र में ई-सिगरेट सेवन, खरीद-फरोख्त एवं बिक्री के प्रमाण नहीं मिले हैं। ऐसे ही गुरूवार 13 फरवरी 2020 की कार्यवाही में औषधि निरीक्षकअखिलेष पांडेय की अगुआई में खाद्य सुरक्षा अधिकारी राखी ठाकुर और राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के शासकीय सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव के संयुक्त दल ने भी जागरूकता अभियान चलाते हुये कोट्पा अधिनियम के तहत 10 चालान काटे। ई-सिगरेट के संबंध में मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर दुकानों में पड़ताल की गई।
अच्छी खबर रही कि औचक निरीक्षण के दौरान महासमुंद शहर में भी छापामार दल को ई सिगरेट की बिक्री और भंडारण की शिकायत नहीं मिली। इसके पीछे बताया जा रहा है कि राजधानी रायपुर में एक-एक कर हुक्का बार भी बंद कराये जा रहे हैं और जिले में भी ई सिगरेट का चलन न हो इसके लिये कार्यक्रम ने पैनी नजर बना रखी है। ऐसे में तंबाकू नियंत्रण को लेकर जहां, लोगों में जागरूकता बढी है वहीं तंबाकू उत्पादों की अवैधानिक बिक्री करने वालों में भी भय का माहौल है, इसके चलते ई सिगरेट बाजार को करारा झटका लगा है।गैर संचारी रोग कार्यक्रम की जिला सलाहकार अदीबा बट्ट से मिली जानकारी के मुताबिक तंबाकू नियंत्रण के लिये जिले के पांचों विकासखंडों में अलग-अलग छापामार दल सक्रिय हैं। इस तरह औचक जांच निरंतर जारी रहेगी और ऐसे प्रकरण मिलने पर किसी को बख्शा नहीं जायेगा सभी पर विधिसम्म्त कार्यवाही की जायेगी।
सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है ई-सिगरेट
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कसार ने बताया कि ’ई सिगरेट’ जो कि बैटरी संचालित इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट है। यह निकोटीन जैसे हानिकारक रसायनों को वाष्पीकृत घोल के माध्यम से बिना दहन किये सेवनकर्ता के फेफड़ों तक पहुंचाती है। किसी बॉल पेन की तरह दिखने वाले इस “कलम-शैली“ के डिवाइस में पीईजी यानी पॉलीथाइलीन ग्लाइकॉल डिफ़रेंट फ्लेवर में उपलब्ध कराये जाते हैं। बच्चे और युवा चाव से इसका सेवन करते हैं लेकिन, वे यह नहीं जानते कि तंबाकू युक्त धुयें के समान स्वाद और शारीरिक संवेदनायें देने वाला यह डिवाइस तंबाकू युक्त सिगरेट से भी अधिक घातक और जानलेवा है। प्रकरण मिला तो जाना पड़ेगा कोर्ट अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक युवाओं में ई सिगरेट सेवन प्रवृत्ति का बढ़ता चलन और इसके हानिकारण दुष्प्रभाव देखते हुये सरकार ने इस पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है। अगर, बिक्री प्रकरण मिलते हैं तो सीआरपीसी के तहत जप्ती की कार्यवाही सहित प्रकरण न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। जुर्माना और सजा तक के प्रावधान हैं।
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