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किसानों को खाद और बीज के लिए सोसायटियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं-सांसद चुन्नीलाल

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महासमुंद- सांसद चुन्नीलाल साहू का आरोप है कि बोनी का बतर बेहतर होने के बावजूद किसानों को खाद और बीज के लिए सोसायटियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि खेतों में मवेशियों की पहुंच को रोकने के लिए सरकार गोठान की आधी-अधूरी व्यवस्था लागू कर रही है, लेकिन इसके बहाने खाद-बीज की आपूर्ति में ‘रोका-छेका’ करना उचित नहीं है। सरकार लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान कर पलायन पर रोका-छेका करे। भू-भाटक कानून के माध्यम से कब्जाधारियों को उनके अधिकार दिलाकर सरकारी वसूली पर रोका-छेका करे।

सांसद का कहना है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार ने जनता को छलने का काम किया है। चुनावी वादे को जनता के ध्यान से हटाने के लिए हथकंडे अपनाते रहते हैं। किसान खाद-बीज के लिए चिल्ला रहे हैं तो उनका ध्यान भटकाने के लिए रोका-छेका का नाटक किया जा रहा है। वास्तव में सरकार रोका-छेका को अमल में लाना चाहती है तो शराब की बिक्री पर घोषणा पत्र के अनुसार रोका-छेका करे।

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सांसद साहू ने राज्य सरकार पर किसान हितैषी के ढोंग रचने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुनाव के पहले कांग्रेस ने किसानों को कई तरह के सब्जबाग दिखाकर धोखे से उनका मत हासिल कर लिया। चुनाव के बाद वायदे पूरे करने में कोताही बरत रहे हैं। खरीफ की धान फसल को 2500 रुपए में खरीदने का वादा किया और 1800 में खरीदी की। अंतर की राशि का किस्त बनाकर किसानों को सरकार पर निर्भर बना दिया है। किसानों को जरूरत के समय सुविधा नहीं देकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।

सांसद का कहना है कि असाढ़ के पहले ही किसान खरीफ फसल की तैयारी शुरू कर देते हैं। अक्ती के दिन का विशेष महत्व भी इसीलिए है कि इस दिन किसान अपने फसल की बीज का परीक्षण करते हैं, लेकिन अभी तक किसानों को बीज उपलब्ध नहीं कराया गया है। किसान खाद के लिए भी परेशान हो रहे हैं। कई खाद ऐसे हैं जिनका उपयोग धान बोने के पहले खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। किसानों ने खरीफ फसल के लिए पंजीयन करा लिया है, बावजूद इसके अभी तक सोसायटियों में खाद-बीज की अनुपलब्धता है। किसान परेशान हो रहे हैं कि समय निकल जाने के बाद उन्हें खाद और बीज प्रदान किया जाएगा तो उसकी उपयोगिता लाभकारी नहीं होगी।

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सांसद ने आरोप लगाया है कि जिम्मेदारी से बचने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार किसानों के साथ बहाने बाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी तरफ से खाद और बीज की मांग को लेकर किसान सरकार के दरवाजे पर जा रही है, तो इस बात से किसानों का ध्यान हटाने के लिए सरकार रोका-छेका के नाम पर फिजूलखर्जी कर रही है। सांसद का कहना है कि रोका-छेका गांव की पुरानी परंपरा है। किसान आपस में तय कर लेते हैं कि खेतों में अब मवेशियों को जाने से रोकने के लिए बरदिहा को जिम्मेदारी दी जाए। अब इस पारंपरिक कार्य के लिए सरकार पंडाल लगाकर किसानों से वायदा पत्र लिखा रही है कि वे मवेशियों को गोठान भेजेंगे। किसानों से वायदा लेने के पहले सरकार अपना वायदा पूरा करे और हर गांव में गोठान की पूरी व्यवस्था दे।

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