रायगढ़-वैश्विक महामारी कोविड- 19 के खौफ से जहां एक तरफ पूरी आबादी घरों मे कैद हो गई है वहीं संकटकाल मे डाक्टर, सफाईकर्मी व पुलिस जैसे विभाग कोरोना योद्धा की भूमिका मे बने हुये हैं। ऐसे में एक कोतवाल जिसका पूरा परिवार कोरोना फाइटर है.परित्राणाय साधुनाम के ध्येय वाक्य की ऐसी ही सार्थकता भूपदेवपुर के कोतवाल ध्रुव कुमार मार्कण्डेय और उनका कुटुम्ब स्थापित करते हुये एक मिसाल कायम करने मे समर्पित भाव से जुटा है।
बीते 70 दिनों से प्रभावी देशव्यापी तालाबंदी के बीच समूचे भूपदेवपुर थाना क्षेत्र मे टीआई डी.के.मार्कण्डेय की छवि एक ऐसे मददगार की बनी है जो वर्दी का दायित्व और मानवता का धर्म साथ साथ निभा रहा है। थाना मे बाहरी मुसाफिरों के दुख दर्द कम करने का मसला हो या फिर घरों मे कैद जरुरतमंदों की चौखट तक मदद पंहुचाने का सवाल हो,ध्रुव कुमार मार्कण्डेय के रुप मे खाकी वर्दी मे एक सख्स हर वक्त पीडित मानवता की रहनुमाई के लिए तत्पर नजर आता है।
आम जनता को राहत और सुरक्षा देने के अभियान मे भूपदेवपुर थाना प्रभारी को समाजसेवी और दानदाताओं का भी आपेक्षित सहयोग दायित्व निभाने की ऊर्जा मे वृद्घि कर रहा है। एक तरफ टीआई मार्कण्डेय जरुरतमंदों की मदद के लिए तत्पर हैं तो दूसरी तरफ आमजन से कोरोना संकट से निपटने की दिशा मे शासकीय निर्देशों के पालन के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं।
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कोतवाल डीके मार्कण्डेय बताते हैं कि कोरोना सुरक्षा ब्यवस्था मे अब तक उनके द्वारा करीब 10 हजार मास्क का वितरण थाना क्षेत्र मे किया जा चुका है और यह सिलसिला निर्बाध जारी है। सबसे अच्छी बात यह है कि महामारी से बचाव के लिए थानेदार द्वारा निशुल्क बांटे जा रहे मास्क का निर्माण भी मार्कण्डेय के व्यक्तिगत प्रयासों से कराया जा रहा है और टीआई के इस प्रयास ने नजदीकी गांव लोढ़ाझर एवं रक्शापाली के महिला समूह को लाक डाऊन मे आत्मनिर्भर बने रहने का हौसला दिया है। ये महिलायें पुलिस से कपड़ा लेकर मास्क का निर्माण कर उसे वापस थाने मे जमा करती हैं जहां से मास्क जरुरतमंदों तक पंहुचता है। साथ ही रोजाना करीब 50 पैकेट भोजन भी टीआई मार्कण्डेय के निगरानी मे क्षेत्र के जरुरतमंद मुसाफिर और मजलूमों तक पंहुचाने का सिलसिला जारी है ।
ध्रुव कुमार का शौक उनके परिवार का मिशन-— पीड़ित मानवता की सेवा का जज्बा बिरले ही किसी की भावनाओं मे ज्वार की मानिंद उमड़ता नजर आता है और भूपदेवपुर थाना प्रभारी ध्रुव कुमार मार्कण्डेय मे खाकी वर्दी के पीछे यह जज्बा लगभग साढे 3 दशक से अपना असर दिखा रहा है। टीआई मार्कण्डेय बताते हैं कि अपने करीब 36 साल के पुलिसिया सेवा के दौरान सैकड़ों दिव्यांगो के इलाज की व्यवस्था स्वयं के व्यय पर की गयी है।उनका यह क्रम अभी भी जारी है। यहां तक की आवश्यकता पडने पर जरुरतमंदों की छोटी मोटी आर्थिक सहायता भी उनके द्वारा की जाती है.यही वजह है कि टीआई मार्कण्डेय के इन नेकियों को सुर्खियों से ज्यादा लोगों के दिलों मे जगह मिली है। वहीं नेकदिल पुलिस अफसर के इस अलहदा शौक का प्रभाव उनके परिवार पर भी पडा है। उनकी पत्नी शकुंतला मार्कण्डेय एवं सुपुत्र इंजी. अखिलेश कुमार मार्कण्डेय भी कोरोना योद्धा की भूमिका मे देखे जा रहे हैं।उनका परिवार बेजुबानों की सेवा कर मानवीय संवेदनाओं का चित्र प्रस्तुत कर रहा है।
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