निर्भया के चारों दोषियों की फांसी एक बार फिर टल गई है। निर्भया गैंगरेप मर्डर केस के चारों आरोपियों में से एक पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के सामने लंबित होने की वजह से पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। पूर्व आदेश के मुताबिक चारों को कल 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी।निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों की फांसी एक बार फिर से टल गयी है। मामले के चार दोषियों में से एक की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है इस आधार पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट पर रोक लगा दी है।
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अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों की मौत का फरमान जारी किया था जिसमें मुकेश पवन, विनय कुमार शर्मा और अक्षय को फांसी देने की तारीख तीन मार्च सुबह छह बजे तय की थी। सोमवार को कोर्ट के सामने दो याचिकाएं आई थीं । एक याचिका में अक्षय ने कहा था कि उसने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष नयी दया याचिका दायर की है जो अभी लंबित है। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दी । बाद में अदालत ने पवन की याचिका पर डेथ वारंट पर स्टे लगा दिया । फैसले से निराश निर्भया की मां ने कहा है कि मामले में दोषी न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं लेकिन उन्हें न्याय प्रणाली पर भरोसा है।
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इससे पहले सुबह सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी करार दिए गए पवन कुमार गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पवन की सुधारात्मक याचिका पर विचार किया था। इसी पीठ ने फांसी पर रोक लगाने की पवन की अर्जी भी खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा ”फांसी पर रोक की अर्जी खारिज की जाती है। सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है।”
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पवन कुमार ने सुधारात्मक याचिका में मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की अपील की थी। उसने मृत्यु होने तक दोषी को फांसी पर लटकाने के लिये निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की भी गुहार की थी। सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद पवन राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की। पवन कुमार गुप्ता की दया याचिका केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल गई है। अब गृहमंत्रालय इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजेगा और वह इस पर विचार करेंगे तथा फैसला लेंगे। इस मामले के चारों दोषियों में से मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति अस्वीकार कर चुके हैं। अब केवल पवन की याचिका पर फैसला होना है । मुकेश और विनय ने अपनी याचिकाओं को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को उच्चतम न्यायालय में अलग-अलग चुनौती दी थी, जिन्हें शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।
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