अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदियों के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एक हफ्ते के भीतर पाबंदियों को लेकर जारी आदेशों की समीक्षा की जानी चाहिए.
देश की सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आदेश दिया है कि वो जम्मू-कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर पाबंदी और धारा-144 लागू करने से जुड़े अपने आदेशों की तुरंत समीक्षा करे. न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, इंटरनेट आर्टिकल 19 (1) (a) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है. इस पर पाबंदी के लिए वाजिब कारण होने चाहिए. इंटरनेट पर पूरी तरह से पाबंदी सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में होनी चाहिए. धारा-144 लागू करने या इंटरनेट पर पाबंदी के सभी आदेशों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इन आदेशों की न्यायिक समीक्षा हो सकती है.
कोर्ट ने 130 पन्नों के अपने फैसले में कहा कि स्वतंत्रता और सुरक्षा में हमेशा से टकराव रहा है और कोर्ट का काम है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा चिंताओ के बीच संतुलन कायम रहे. तमाम राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ ही जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधानों को हटाने और विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद राज्य में कुछ पाबंदियां लगाई गई थीं. इसके बाद कुछ लोगों ने कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद करने और धारा-144 लागू करने के सरकार के आदेशों को चुनौती दी थी. कोर्ट ने ये फैसला उन्हीं याचिकाओं पर दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को करेगी.
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