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कोरोना काल से रिटेल व्यापार में करीब 15 .5 लाख करोड़ का घाटा होने का अनुमान-CAIT

कोरोना के चलते रिटेल व्यापार पहुँचे 15 .5 लाख करोड़ के नुकसान के बाद अब CAIT ने सरकार से तत्काल ज़रूरी कदम उठाने की मांग करी

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रायपुर-कुणाल राठी

 

रायपुर-देश में कोरोना महामारी ने पिछले 100 दिनों में भारतीय रिटेल व्यापार को लगभग 15.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है जिसके परिणामस्वरूप घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉक डाउन खुलने के 45 दिनों के बाद भी देश भर में व्यापारी उच्चतम वित्तीय संकट, कर्मचारियों की तथा दुकानों पर ग्राहकों के बहुत कम आने से बेहद परेशान हैं

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी,कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, प्रवक्ता राजकुमार राठी ने  का कहना है कि व्यापारियों को अनेक वित्तीय दायित्वों को पूरा करना है जबकि बाजार में पैसे का संकट पूरी तरह बरक़रार है .केंद्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा व्यापारियों को कोई आर्थिक पैकेज न देने से भी व्यापारी बेहद संकट की स्तिथि में हैं और इस सदी के सबसे बुरे समय से गुजर रहे हैं.

देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने आज यहाँ कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है और यदि तुरंत इस स्तिथि को ठीक करने के लिए आवश्यक जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसके कारण बड़ी संख्यां में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है .

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प्रदेश अध्यक्ष पारवानी ने कहा कि कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में बड़ा डर बैठा हुआ है जिसके कारण स्थानीय खरीददार बाज़ारों में नहीं आ रहे हैं हैं जबकि ऐसे लोग जो पडोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं वे लोग भी कोरोना से भयभीत होने तथा दूसरी ओर एक शहर से दूसरे शहर अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर-राज्यीय परिवहन की उपलब्धता में अनेक परेशानियों के कारण खरीददारी करने बिलकुल भी नहीं जा रहे हैं जिससे देश के रिटेल व्यापार की चूलें हिल गई हैं.

प्रदेश अध्यक्ष पारवानी ने कहा कि अभी तक व्यापारियों को केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा कोई आर्थिक पैकेज पैकेज नहीं दिया गया जिसके कारण व्यापार को पुन: जीवित करना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है. ऐसे समय में जब देश भर के व्यापारियों के देख रेख बेहद जरूरी थी ऐसे में व्यापारियों को परिस्थितियों से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है.इस समय व्यापारियों को ऋण आसानी से मिले इसके लिए एक मजबूत वित्तीय तंत्र को तैयार करना बेहद जरूरी है

व्यापारियों को करों के भुगतान में छूट और बैंक ऋण, ईएमआई आदि के भुगतान के लिए एक विशेष अवधि दिया जाना और उस अवधि पर बिना कोई ब्याज अथवा पेनल्टी लगाए देने की जरूरत है जिससे बाजार में आर्थिक तरलता का प्रवाह हो.इस सम्बन्ध में सबसे बुरी बात यह है कि दिसंबर से मार्च के महीने में आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं जिनका पेमेंट भुगतान पारस्परिक रूप से सहमत क्रेडिट अवधि के अनुसार मार्च महीने में हो जाना चाहिए था वो अभी तक नहीं हुआ है और उम्मीद ये की जाती है आगामी सितम्बर मॉस में इसकी अदायगी होने की संभावना है

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