महासमुंद-जिले के धान उपार्जन केन्द्र केना में समिति प्रवन्धक, उपार्जन केंद्र प्रभारी एवम ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर का मामला दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ प्रथम दृष्टया 831किविंटल से अधिक के धान के गबन का मामला सामने आया है।
धान उपार्जन केन्द्र केना तहसील सरायपाली में 16 जून 2020 को खाद्य तथा सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच की गई। जिसमें पाया गया कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 के धान उपार्जन केन्द्र केना के कम्प्यूटर में दर्ज रिकार्ड के अनुसार खरीदी केन्द्र केना द्वारा कुल 41203.60 क्विंटल धान की खरीदी की गई। जिसमें से मिलर तथा संग्रहण केन्द्र को 40372.47 क्विंटल धान प्रदान किया गया।
इस प्रकार समिति में 831.13 क्विंटल धान उपलब्ध होना चाहिए था लेकिन मौके पर खरीदी केन्द्र में धान का स्टॉक निरंक पाया गया। धान की 831.13 क्विंटल की कमी के बारे में समिति प्रबंधक तथा खरीदी प्रभारी से पूछताछ की गई, जिसमें उनके द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। इसलिए जांच अधिकारियों के द्वारा जांच प्रतिवेदन में प्रथम दृष्टया 831.13 क्विंटल धान का गबन की जाना पाया गया जिसके लिए समिति के उपाध्यक्ष समिति प्रबंधक,खरीदी प्रभारी तथा कम्प्युटर ऑपरेटर को दोषी मानते हुए समिति तथा शासन को लगभग इक्कीस लाख रुपये की क्षति पहुँचाने के आरोप में थाना सरायपाली में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई।
छ.ग.शासन खाद्य विभाग द्वारा जारी धान खरीदी नीति के अनुसार समितियां धान खरीदी करती है, जिसकी कण्डिका क्रमांक 15.9 में स्पष्ट उल्लेंख है कि खरीदी केन्द्रों में संग्रहित धान के लिए कोई सूखत मात्रा मान्य नहीं होगी। इस नीति के तहत् मार्कफेड तथा समिति के बीच अनुबंध पत्र निष्पादित किया जाता है जिसकी कंण्डिका 1.10 में उल्लेख है कि धान उपार्जन केन्द्रों में क्रय किये गये धान पर कोई सूखत मान्य नहीं है।
मार्कफेड द्वारा धान खरीदी केन्द्रों में खरीदे गये धान के सुरक्षित रख रखाव के लिए राशि भी प्रदान की जाती है। उप पंजीयक, सहकारी संस्थाएं, जिला महासमुन्द द्वारा बताया गया है कि शासन के निर्देशानुसार इस प्रकार की जाँच कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी तथा जिन खरीदी केन्द्रों में धान की कमी अथवा अनियमितता पायी जाती है तो उस समिति के कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।
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