दिल्ली- कोविड-19 की स्थिति पर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सभी इस बात से परिचित हैं कि हम इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां तीसरी लहर की आशंका लगातार जताई जा रही है। देश के अधिकांश राज्यों में केसेस की संख्या जिस तरह कम हुई थी, उसने कुछ राहत, Psychologically फील होता था, कुछ राहत महसूस हो रही थी। विशेषज्ञ इस downward trend को देखकर उम्मीद भी कर रहे थे कि जल्द ही देश दूसरी लहर से पूरी तरह बाहर आ जाएगा। लेकिन कुछ राज्यों में केसेस की बढ़ती हुई संख्या अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
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आज जितने राज्य, छह राज्य आज हमारे साथ हैं। इस चर्चा में शामिल हुए हैं, पिछले हफ्ते के करीब 80 प्रतिशत नए केसेस आप जिन राज्यों में हैं उन्हीं राज्यों से आए हैं। चौरासी प्रतिशत दुखद मौतें भी इन्हीं राज्यों में हुई हैं। शुरुआत में विशेषज्ञ ये मान रहे थे कि जहां से सेकंड वेव की शुरुआत हुई थी, वहाँ स्थिति अन्य की तुलना में पहले नियंत्रण में होगी। लेकिन महाराष्ट्र और केरल में केसेस का इजाफा लगातार देखने को मिल रहा है। ये वाकई हम सबके लिए, देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
आप सब इससे परिचित हैं कि ऐसे ही ट्रेंड हमें सेकंड वेव के पहले जनवरी-फरवरी में भी देखने को मिले थे। इसलिए, ये आशंका स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है कि अगर स्थिति नियंत्रण में नहीं आई तो मुश्किल हो सकती है। बहुत जरूरी है कि जिन राज्यों में केसेस बढ़ रहे हैं, उन्हें proactive measures लेते हुए तीसरी लहर की किसी भी आशंका को रोकना होगा।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लंबे समय तक लगातार केसेस बढ़ने से कोरोना के वायरस में mutation की आशंका बढ़ जाती है, नए नए variants का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, तीसरी लहर को रोकने के लिए कोरोना के खिलाफ प्रभावी कदम उठाया जाना नित्यांत आवश्यक है। इस दिशा में strategy वही है, जो आप अपने राज्यों में अपना चुके हैं, पूरे देश ने उसको लागु किया हुआ है। और उसका एक अनुभव भी हमे है।
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जो आपके लिए भी tested and proven method है। Test, Track और Treat और अब टीका इसी Vaccines की हमारी रणनीति फोकस करते हुए ही हमें आगे बढ़ना है। Micro-containment zones पर हमें विशेष ध्यान देना होगा। जिन जिलों में positivity rate ज्यादा है, जहां से number of cases ज्यादा आ रहे हैं, वहाँ उतना ही ज्यादा फोकस भी होना चाहिए। अभी जब में नॉर्थ ईस्ट के साथियों से बात कर रहा था। तो एक बात उभरकर के आई कि कुछ राज्यों ने लॉकडाउन ही नहीं किया। लेकिन micro contentment zone पर बहुत बल दिया। और उसके कारण वो स्थिति को संभाल पाए।
एक और चिंता बच्चों को लेकर भी है। बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए हमें अपनी तरफ से पूरी तैयारी करनी होगी। हम देख रहे हैं कि पिछले दो हफ्तों में यूरोप के कई देशों में एकदम तेजी से केसेस बढ़ रहे हैं। अगर हम पश्चिम में देखें चाहे यूरोप के देश हों चाहे अमेरिका, इधर हम पूर्व में देखें तो बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड बहुत तेजी से केसेस बढ़ रहे हैं। एक प्रकार से कहीं पर चार गुना कहीं आठ गुना, कहीं दस गुना बढ़ोत्तरी आई है।
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ये पूरी दुनिया के लिए, और हमारे लिए भी एक चेतावनी है, एक बहुत बड़ा अलर्ट है। हमें लोगों को बार-बार ये याद दिलाना है कि कोरोना हमारे बीच से गया नहीं है। हमारे यहाँ ज़्यादातर जगहों से unlock के बाद की जो तस्वीरें आ रही हैं वो इस चिंता को और ज्यादा बढ़ाती हैं। इसका ज़िक्र मैंने अभी नॉर्थ ईस्ट के सब साथियों से बात कर रहा था, उस दिन भी किया था। मैं आज फिर से जोर देकर के उस बात को दोहराना चाहता हूं।
आज जो राज्य हमारे साथ जुड़े हैं, इनमें तो कई बड़े metropolitan शहर हैं,बहुत सघन आबादी वाले हैं । हमें इसे भी ध्यान में रखना होगा। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ लगने से रोकने के लिए हमें सजग, सतर्क और सख्त होना पड़ेगा। सरकार के साथ साथ – अन्य राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों और NGOs को, Civil society को साथ लेकर हमें लगातार लोगों को जागरूक करते रहना है। मुझे विश्वास है कि आप सबके व्यापक अनुभव इस दिशा में काफी काम आएंगे।
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