महासमुंद-भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पूनम चन्द्राकर ने कहा अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाने कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिये लाये केंद्र सरकार द्वारा विधेयक किसान हित में है। अब किसान बेहतर दाम के साथ अपनी फसल को बेच पायेंगे। जब तक देश में कांग्रेस की शासन थी तब–तब किसानों को उनके हाल पर छोड़ रखा था । किसान या तो मौसम पर निर्भर रहे या उद्यमियों, साहूकारों के चंगुल में फसे रहे। किसानों को बुनियादी सुविधायें उपलब्ध करवाने, फसलों की उचित कीमत दिलवाने की कोई व्यावहारिक नीति तक नही बनाई। उन्ही कारणों से खेती घाटे की सौदा बन गई।
अब जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है, जो हमारे अन्नदाता किसानों के लिये पुरी तरह से प्रतिबद्ध है । किसानों की आर्थिक उन्नति एवं जीवनस्तर में सुधार लाने हेतु नये कृषि नीति लाया गया तो कांग्रेसियों को पीड़ा होने लगी। कांग्रेस नहीं चाहते कि हमारे देश के अन्नदाता किसान खुशहाल बने उनके आर्थिक उन्नती हो। बील पास होने से बिचालियें खत्म होंगे एमएसपी व मंडी के साथ–साथ किसानों को अपनी फसल बेचने के लिये अन्य विकल्प चुनने की छुट होगी।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद देश के किसानों को आश्वस्त किया है, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगें और मंडिया खत्म नहीं होगी । कृषि क्षेत्र की दुर्दशा के लिये पांच दशक तक जिम्मेदार कांग्रेस को तो विरोध का नैतिक हक भी नहीं है । इस बील के विरोध में अधिकांश बिचौलिये समर्थित लोग प्रतीत हो रहे हैं।
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छ.ग. में कांग्रेस सरकार की बात करें तो, जिम्होने 1 नवम्बर की जगह 1 दिसम्बर से धान खरीदी का फरमान जारी किया है । साथ ही किसानों से कम से कम धान खरीदी हो के लिये गिदवारी के आड़ में किसानों के खेत के पंप हाऊस खेतों की मेड़ और खेतों में पानी के लिये बनाई आवाजाही की नालियों को खेत के रकबा से अलग कर गिदवारी रिपोर्ट तैयार करवा रही है।
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किसानों के खेतों का रकब कम कर धान कम खरीदने की बड़ी साजिश है । 2500 रूपये में धान खरीदने की बात कहने वाले कांग्रेस सरकार अभी तक पूर्ण रूप से किसानों को 2500 रूपये नहीं दे पाया है और अब धान खरीदने में हाथ पैर फुलने लगा है। अन्नदाता किसान अपना कम धान बेच सके इसलिये कई प्रकार के साजिश एवं षड़यंत्र किया जा रहा है । लोगों को भ्रम फैलाया जा रहा है की मंडिया बंद हो जावेगी । जबकि ऐसा नहीं है किसान अपनी उपज की फसल को मंडी एवं जहां उनकों उचित दाम मिले देश में कहीं भी बेच सकते हैं।
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पहले मंडियों में आड़तियों के माध्यम से खरीदी का कार्य होता था जो मूल्य निर्धारित करते थे रेट को उपर निचे करते थे । किसानों के फसलों को क्वालिटिहिन बताकर कम दामों में खरीदते थे । किसान मजबूरी में अपने फसल को बेचना पड़ता था । क्योंकि ट्रांसपोर्ट भाड़ा आने जाने का अतिरिक्त भार उठाना पड़ता था । अब इस बील पास होने से किसान खुद अपने फसलों का मूल्य तय करगें । उत्पादित अनाज को खरीदने किसानों के खेत तक जायेगें, जिससे उनका ट्रान्सपोर्ट का खर्च कम होगा साथ समय की बचत होगी ।
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