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स्पीच थेरेपी से आज सौम्या पहले से है और बेहतर

स्पीच थेरेपी से बच्चे सीख रहे बोलना,हो रहा है लगातार Children are learning to speak with speech therapy, continuous improvement is happening

स्पीच थेरेपी से आज सौम्या पहले से है और बेहतर

बलौदाबाजार- पिछले 3 वर्षों की स्पीच थेरेपी speech therapy लेने के पश्चात आज 10 वर्षीय सौम्या केसरवानी पहले से बेहतर है और वह कई शब्दों का उच्चारण कर लेती है एवं उनके अर्थ भी समझ जाती है। यह सब नाक ,कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ नेहा गंगेश्री ऑडियोलॉजिस्ट तृषा सिन्हा एवं सहायक गायत्री साहू और स्पीच इंस्ट्रक्टर विनोद देवांगन के सहयोग से हुआ है।

बलौदाबाजार की सौम्या केसरवानी को बचपन से ही श्रवण बाधिता की समस्या थी। सौम्या की श्रवण क्षमता जन्म से ही 90% कम थी। इस बात को लेकर सौम्या के माता पिता हमेशा तनाव में रहा करते थे। इस संबंध में सौम्या की माता-पिता योगेश एवं गायत्री केसरवानी ने बताया कि, जब सौम्या बहुत ही छोटी थी तब ही हमें यह ज्ञात हो गया था उसकी सुनने की क्षमता अत्यंत अल्प है । वह किसी आवाज इत्यादि पर प्रतिक्रिया नहीं देती थी ।

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जब वह थोड़ी बड़ी हुई तो हमने उसे बिलासपुर में एक निजी अस्पताल में दिखाना शुरू किया और वहां से सुनने के लिए श्रवण यंत्र भी लिया । बाद में एक समान यंत्र समाज कल्याण विभाग द्वारा भी उन्हें प्राप्त हुआ था । क्योंकि छोटी बच्ची की सुनने की क्षमता ना के बराबर थी ऐसे में वह शब्दों को सीख ही नहीं पाई जिस कारण उसे बोलने में असुविधा होने लगी। इस स्थिति में निजी संस्थाओं में इलाज पर बहुत पैसा खर्च भी हुआ करता था।

जिला अस्पताल बलौदा बाजार के स्पीच थेरेपी speech therapy केंद्र में संपर्क करने पर सौम्या का उपचार शुरू हुआ उस समय सौम्या 7 वर्ष की थी। speech therapy के संबंध में सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार अवस्थी ने बताया कि जिला अस्पताल में स्पीच थेरेपी हेतु एक केंद्र कार्य कर रहा है इसके अंतर्गत विशेषज्ञों की देखरेख में बच्ची की ट्रेनिंग एवं थेरेपी शुरू की गई थी जिससे वह अधिक सहज जीवन जी सके।

सौम्या के उपचार से जुड़ी ऑडियोलॉजिस्ट तृषा सिन्हा ने बताया कि इस तरह के लक्षण दिखने वाले बच्चों में बोलना,आँख से आंख मिलाना,उच्चारण पर ध्यान देना सिखाया जाता है। इसके बाद विभिन्न प्रकार की ध्वनि से बच्चों को रूबरू कराया जाता है और धीरे-धीरे शब्दों का उच्चारण सिखाया जाता है फिर सामान्य वाक्य और उसके बाद जटिल वाक्यों को बोलना सिखाया जाता है।

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