दिल्ली-स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने आज स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए एसओपी/दिशा-निर्देशों को जारी किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) की एसओपी/ दिशा-निर्देशों की घोषणा की।
स्कूलों को फिर से खोलने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की एसओपी/दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिंदु संक्षेप में
दोबारा खोलने (रिओपनिंग) के लिए गृह मंत्रालय के आदेश संख्या 40-3/2020-डीएम-I(ए) दिनांक 30.09.2020 के पैरा-1 के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें संबंधित स्कूलों/संस्थानों के प्रबंधन के साथ विचार-विमर्श करके और स्थानीय स्थिति के आधार पर 15.10.2020 के बाद स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को क्रमबद्ध तरीके से दोबारा खोलने के बारे में फैसले कर सकती हैं।
स्कूलों को दोबारा खोलने के स्वास्थ्य और सुरक्षा पक्षों से संबंधित है। ये स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी निर्देशों पर आधारित हैं और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थानीय स्थिति के अनुसार अपनाते/अनुकूल बनाते हुए लागू किया जा सकता है।
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स्कूल परिसर में सभी जगहों, फर्नीचर, उपकरण, स्टेशनरी, भंडारण की जगहों, पानी की टंकियों, रसोई, कैंटीन, वॉशरूम, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों इत्यादि की पूरी तरह से सफाई और कीटाणुमुक्त बनाने की व्यवस्था करना और उसे लागू करना।
स्कूलों में जिम्मेदारियों के बंटवारे के साथ-साथ आपातकालीन देखभाव सहायता/प्रतिक्रिया टीम, सभी हितधारकों के लिए सामान्य सहायता टीम, साजोसामान सहायता टीम और स्वच्छता जांच टीम जैसे कार्य दल बनाना मददगार होगा।
सुरक्षा और शारीरिक/सामाजिक दूरी की शर्तों के पालन और उनका ध्यान रखने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जारी दिशानिर्देशों के आधार पर स्कूलों को अपनी खुद की एसओपी बनाने के लिए प्रोत्साहित और इस बारे में माता-पिता के लिए नोटिस/पोस्टर/संदेश/संचार को प्रमुखता से प्रदर्शित/प्रसारित किया जा सकता है।
बैठने की योजना (सिटिंग प्लान) बनाते समय शारीरिक/सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना चाहिए, समारोहों और कार्यक्रमों के आयोजनों से बचना, स्कूल में आने-जाने के समय और जगहों में अंतर रखना, अलग-अलग समय सारणी बनाना चाहिए।
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सभी छात्र और कर्मचारी फेस कवर/मास्क पहनकर स्कूल आएं और सभी जगहों पर लगातार पहने रहें, खास तौर पर तब जब कक्षा में हों या समूहों में कोई गतिविधि कर रहे हों जैसे कि मेस में खाना खाना, प्रयोगशालाओं में काम करना या पुस्तकालयों में बात करना।
शारीरिक/सामाजिक दूरी को लागू करने के लिए उचित जगहों पर संकेतों और चिह्नों को प्रदर्शित करें। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को माता-पिता/अभिभावकों से अपने बच्चों/आश्रतों को स्कूलों में जाने से पहले सहमति लेनी चाहिए। अगर छात्र अपने माता-पिता की सहमति से घर से ही पढ़ाई करने के लिए इच्छुक हैं तो इसकी अनुमति दी जा सकती है।
कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियों के बारे में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों और छात्रावास के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाएं और शिक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के आधार पर सभी हितधारकों की भूमिका तय करें।
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सभी कक्षाओं के लिए अकादमिक कैलेंडर बदलाव, विशेष तौर पर अवकाश (ब्रेक्स) और परीक्षा के संबंध में, की योजना बनाएं। स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले सभी छात्रों की निर्धारित पाठ्यक्रम की किताबों तक पहुंच सुनिश्चित करें।
छात्रों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए स्कूल में या संपर्क करने योग्य दूरी पर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी/नर्स/डॉक्टर और सलाहकार की उपलब्धता सुनिश्चित करें। छात्रों और शिक्षकों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराई जा सकती है।
छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी जुटानी चाहिए। स्थानीय प्रशासन से राज्य और जिला हेल्पलाइन नंबर और निकटतम कोविड केंद्र और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अन्य संपर्कों की जानकारी लेनी चाहिए।
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बीमार पड़ने पर छात्रों और कर्मचारियों को घर पर रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उपस्थिति (अटेंडेंस) और रोग-अवकाश (सिक-लीव) की लचीली नीतियां बनाई और लागू की जा सकती हैं।
कोविड-19 का संदिग्ध मामला पता लगाने पर तय प्रक्रिया (प्रोटोकॉल) के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।
सबसे ज्यादा असुरक्षित छात्रों (बेघर/विस्थापित छात्रों, दिव्यांग छात्रों और कोविड-19 से मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होने से सीधे तौर पर प्रभावित परिवारों के बच्चों) पर ध्यान दें। विशेष जरूरत वाले छात्रों (सीडब्लूएसएन) की आवश्यकताओं के अनुसार सहायक उपकरणों और शिक्षण सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
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बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी करने और कोविड-19 प्रकोप के दौरान उनके प्रतिरक्षा तंत्र को सुरक्षित बनाए रखने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूलों में गर्म पकाया दोपहर का भोजन (मिड डे मील) और स्कूल बंद होने व गर्मी की छुट्टियों के दौरान पात्र बच्चों को इसके बराबर खाद्य सुरक्षा भत्ता देने की सलाह दी गई थी। शारीरिक/सामाजिक दूरी के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर पर्याप्त ध्यान दें।
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