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शहर की जीवन रेखा, सितली नाला को पुनर्जीवित करने के लिए बढ़ा कदम

"अविरल सितली निर्मल सितली" अभियान की तैयारी शुरू : सितली नाला डैम का निरीक्षण, 12 नवंबर को महत्वपूर्ण बैठक.

शहर की जीवन रेखा, सितली नाला को पुनर्जीवित करने के लिए बढ़ा कदम

महासमुंद। “स्वाध्याय केंद्र समिति” ने शहर की जीवन रेखा, सितली नाला को पुनर्जीवित करने के अपने महत्वाकांक्षी “अविरल सितली – निर्मल सितली” अभियान के क्रियान्वयन की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है।

आज, समिति के सदस्यों ने इंजीनियर बी.आर. साहू के तकनीकी मार्गदर्शन के नेतृत्व में सिंचाई विभाग के सक्रिय सहयोग में सितली नाला पर बने डैम का निरीक्षण किया। निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य लंबे समय से बंद पड़े डैम को खोलकर उसके जल प्रवाह को सुचारू करना था। टीम ने डैम के फाटकों में फंसे हुए मलबे और गाद को हटाने का प्रयास किया, जो डैम के संचालन में बाधा डाल रहे थे।

समिति ने घोषणा की है कि जल्द ही “अविरल सितली निर्मल सितली” अभियान के तहत भूमि पूजन कर इस पुनीत कार्य का विधिवत शुभारंभ किया जाएगा। इस अभियान की समग्र रूपरेखा तैयार करने और इसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन दिनांक 12 नवंबर 2025 बुधवार शाम 4:00 बजे स्वाध्याय केंद्र सभागार में किया गया है।

शहर की जीवन रेखा, सितली नाला को पुनर्जीवित करने के लिए बढ़ा कदम

इस बैठक में शहर के सभी वर्गों को आमंत्रित किया जाएगा, तथा अभियान की विस्तृत कार्ययोजना पर विचार-विमर्श किया जाएगा और आगे आने वाले सभी कार्यों के क्रियान्वयन हेतु आम सहमति बनायी जाएगी, ताकि अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके।

स्वाध्याय केंद्र समिति के सदस्यों ने महासमुंद शहर के समस्त नागरिकों से इस पुनीत और महत्वपूर्ण कार्य में बढ़-चढ़कर योगदान देने का विनम्र आग्रह किया है। उनका मानना है कि शहर की जीवन रेखा सितली नाला को उसका मूल स्वरूप लौटाने का यह कार्य केवल सरकारी या समिति का नहीं, बल्कि पूरे शहर का सामूहिक दायित्व है।

समिति सदस्यों ने कहा “सितली नाला को अविरल और निर्मल बनाने का यह प्रयास तभी सफल होगा जब महासमुंद का हर नागरिक इसमें अपना सहयोग देगा। हम सभी शहरवासियों से आग्रह करते हैं कि 12 नवंबर की बैठक में उपस्थित होकर अपने विचार दें और इस अभियान का हिस्सा बनें।”

निरीक्षण के दौरान इंजीनियर बी.आर. साहू, समिति के सचिव मोहन साहू, सदस्य पवन साहू समेत जल संसाधन विभाग और सिंचाई विभाग के कर्मचारी मौजूद थे, जिन्होंने तकनीकी और ज़मीनी सहयोग प्रदान किया।

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