भोपाल-प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिये अर्थ गार्जियन श्रेणी में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का पुरस्कार मिला है। वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन से जुड़े अमले को बधाई दी है।
उल्लेखनीय है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को विश्व धरोहर की संभावित सूची में भी शामिल किया गया है। होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 2130 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र है। यह डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का हिस्सा है। अभूतपूर्व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह देश की प्राचीनतम वन संपदा है, जो बड़ी मेहनत से संजोकर रखी गई है।
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हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियाँ और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियाँ सतपुड़ा वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती हैं। इसलिये विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है। कुछ प्रजातियाँ जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बाँस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं। इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियाँ मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य हैं। सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहाँ बड़े संकुल में मिलता है
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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है। यहाँ अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियाँ हैं, जो अन्यत्र नहीं मिलती। बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है।
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बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है।
संरक्षित क्षेत्रों के भीतरी प्रबंधन के मान से
यह अपने आप में देश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा
में ही आता है। यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है।
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