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भारत के संविधान अंगीकरण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन

कर्तव्यपरायण नागरिक ही लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं:-जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनीता डहरिया

संविधान अंगीकरण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन

महासमुंद। भारत के संविधान अंगीकरण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ प्रांत की महासमुंद जिला इकाई द्वारा जिला सत्र न्यायालय सभागार में एक महत्वपूर्ण और ज्ञानप्रद संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

“मौलिक कर्तव्य : विकसित भारत के निर्माण की आधारशिला” विषयक इस कार्यक्रम ने न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और कानूनी समुदाय को संवैधानिक मूल्यों पर चिंतन का मजबूत मंच प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि बीते 15 वर्षों से अधिवक्ता परिषद निरंतर इस आयोजन के माध्यम से संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता का संदेश देती आ रही है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनीता डहरिया ने की। मुख्य अतिथि के रूप में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भूपेंद्र राठौड़ और अधिवक्ता परिषद के जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी भी मौजूद थे।

अपने उद्बोधन में भूपेंद्र राठौड़ ने कहा कि संविधान का ज्ञान केवल विधिक पेशे के लिए ही नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि देश तभी प्रगति करता है जब नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी ईमानदारी से पालन करते हैं। उन्होंने संवैधानिक समझ को राष्ट्रीय एकता और अखंडता का मूल आधार बताया।

संविधान अंगीकरण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन

अध्यक्षीय संबोधन में न्यायाधीश अनीता डहरिया ने मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर देते हुए संविधान के पालन, सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और जिम्मेदार समाज निर्माण को हर नागरिक की प्राथमिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि कर्तव्यपरायण नागरिक ही लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं।

मुख्य अतिथि अनिल शर्मा ने संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि अधिकार मांगने से पहले कर्तव्यों का निर्वहन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संविधान द्वारा दिए गए अधिकार तभी सार्थक होते हैं जब नागरिक देश के उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाएं।

अधिवक्ता परिषद जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने कहा कि मौलिक अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने नागरिकों से राष्ट्रहित में अपने कर्तव्यों का दृढ़तापूर्वक पालन करने का आग्रह किया।

कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता सरदार सुमित सिंह ढिल्लों ने ऊर्जा और प्रभावी शैली में किया। समापन पर अधिवक्ता शशांक तिवारी ने सभी अतिथियों व उपस्थित अधिवक्ताओं का आभार व्यक्त किया।

भारत के संविधान अंगीकरण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इनमें न्यायिक अधिकारी संघ के पुष्पा भतप्रहरी, आनंद बोरकर, मोनिका जायसवाल, सीजीएम ठाकुर तथा अधिवक्ता भरत कसार, प्रलय थिटे, संजय गिरी, ओम शुक्ला, खगेश्वर पटेल, सुरेश चंद्राकर, वैशाली देवांगन, राजू पटेल, धर्मेंद्र डड़सेना, नूतन साहू, तेजेंद्र चंद्राकर, ऋषि शर्मा, कुंजलाल सिन्हा, अरुण पटेल, संजीव पंडा, सुरेंद्र चावला, प्रवीण झा, विनोद शर्मा, सलीम कुरैशी आदि शामिल रहे।

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