महासमुन्द-संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि तेंदूपत्ता के बढ़े दामों ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की जिंदगी में बहार ला दी है। जिस तेंदूपत्ता का दाम 2002 में मात्र 450 रुपये प्रति मानक बोरा था अब उसका दाम 4000 रुपये हो गया है। अब संग्राहकों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलने लगा है और तेंदूपत्ता से होने वाली कमाई से उनकी जिंदगी में बदलाव भी देखने को मिल रहा है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की अवधारणा के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की ने तेंदूपत्ता के हरा सोना नाम को सार्थक कर दिया है।
संसदीय सचिव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने तेंदूपत्ता समेत 52 प्रकार के लघु वनोपज का समर्थन मूल्य घोषित किया है। तेंदूपत्ता वनवासियों की आय का प्रमुख साधन है। इसके दामों में वृद्धि का असर साफ दिख रहा है। वर्ष 2019 और 2020 में संग्राहकों से 4000 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से तेंदूपत्ता खरीदा गया, जबकि वर्ष 2002 में तेंदूपत्ता की दर मात्र 450 रुपये प्रति मानक बोरा थी। बीते 18 वर्षों में तेंदूपत्ता के दाम में जितनी वृद्धि हुई है किसी अन्य वनोपज के दाम में नहीं हुई है।
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छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने वनों पर निर्भर ग्रामीणों की सुध ली और सरकार बनते ही तेंदूपत्ता की कीमत 2500 से बढ़ाकर 4000 रुपये कर दिया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में महासमुंद जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम अंतिम चरणों में है। मौसम के बदले हालात के बाद भी लक्ष्य के करीब संग्रहण हो चुका है। जिसमें महासमुंद परिक्षेत्र अंतर्गत गोंडपाली, सिंघरूपाली, महासमुंद, मोहंदी, चिरको, बावनकेरा, पटेवा, सिरपुर, रायतुम व चुहरी समिति में 82 प्रतिशत से अधिक, बागबाहरा परिक्षेत्र अंतर्गत परसुली, धौराभाठा, टुहलू, भोथा, बोकरामुड़ा, बागबाहरा, कोमाखान, गांजर, मुनगासेर, तेंदूकोना, तुसदा, तमोरा, आमाकोनी, खल्लारी, चरौदा व सुखरीडबरी समिति में 77 प्रतिशत से अधिक संग्रहण हुई है ।
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बसना परिक्षेत्र अंतर्गत जेवरा, मेदनीपुर, गढ़फुलझर, बसना, भंवरपुर, चंदखुरी, बिछिया, बड़ेसाजापाली व चनाट समिति में 85 प्रतिशत से अधिक, सराईपाली परिक्षेत्र अंतर्गत सरायपाली, तोषगांव, कोदोगुड़ा, पालीडीह, गेर्रा, छिर्राखार, मल्दामाल, चिवराकुंटा, सिंगबहाल, बटकी, मोहनगुड़ा व कोसमपाली समिति में 92 फीसदी से अधिक, पिथौरा परिक्षेत्र के अंतर्गत कोलदा, परसदा, बुंदेली, भुरकोनी, बढ़ईपाली, मुढ़ीपार, अरंड, राजासेवैया, किशनपुर, भिथीडीह, चारभांठा, बल्दीडीह, बरेकेल, गिरना, सुखीपाली, रिखादादर, लारीपुर, सल्डीह, छोटेलोरम, मोहगांव, सांकरा, देवरी, विजयमाल, पिरदा, देवलगढ़, देवतराई, आरंगी, जबलपुर समिति में 67 प्रतिशत से अधिक संग्रहण हो चुका है।
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