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रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक मेगा कॉमन फैसिलिटी सेंटर की रखी गई आधारशिला

मेगा सीएफसी 70 करोड़ रुपये की लागत वाली एक ड्रीम प्रोजेक्ट है Mega CFC is a dream project costing Rs 70 crores

रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक मेगा कॉमन फैसिलिटी सेंटर की रखी गई आधारशिला

दिल्ली-केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई में सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (SEEPZ) विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक मेगा कॉमन फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला रखी।मेगा सीएफसी 70 करोड़ रुपये की लागत वाली एक ड्रीम प्रोजेक्ट है।

यह परियोजना रत्न एवं आभूषण के लिए देश के महत्वपूर्ण विनिर्माण (manufacturing )केंद्र के मध्य में स्थित मुख्य रूप से व्यापार सुविधा एवं कौशल प्रशिक्षण पर केंद्रित होगी। यह रत्न एवं आभूषण क्षेत्र की विनिर्माण और अन्य संबद्ध प्रक्रियाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीक वाली दो सुविधाओं में से एक होगी ,दूसरी सूरत में है। यह केंद्र सक्षम कार्यबल तैयार के लिए कौशल तथा प्रशिक्षण सहायता भी प्रदान करेगा। भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग के पास अब तक का सबसे अधिक 4.5 मिलियन कुशल कार्यबल है।

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वाणिज्य मंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि SEEPZ ​​के सुधार के कार्य से अगले 3 से 5 वर्षों में संपूर्ण SEEPZ का क्रमिक पुनर्निर्माण होगा। उद्योग और एसईईपीजेड ​​से इसे पूरा करने के लिए मिलकर काम करने की मांग की। उन्होंने कहा कि रत्न एवं आभूषण उद्योग को ऊंचा लक्ष्य रखने के लिए कहा। अब समय आ गया है कि भारत के संकल्प, क्षमता और विश्वास को दर्शाते हुए, देश में रत्न व् आभूषण क्षेत्र को वास्तव में वैश्विक चैंपियन बनाया जाए।

GJEPC के अध्यक्ष कॉलिन शाह ने कहा कि SEEPZ में मेगा सीएफसी रत्न एवं आभूषण उद्योग के भविष्य को फिर से निर्धारित करेगा। उन्होंने कहा कि मेगा सीएफ़सी एसईईपीजेड से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक तकनीक की सुविधा प्रदान करेगा। “वर्तमान में एसईईपीजेड हमारे कुल रत्न व् आभूषण निर्यात में लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर का योगदान देता है, लेकिन बेहतर बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी के साथ, एसईईपीजेड निश्चित रूप से सालाना 7 बिलियन अमरीकी डालर से 10 बिलियन अमरीकी डालर के निर्यात में योगदान कर सकता है।”

एसईईपीजेड विशेष आर्थिक क्षेत्र के क्षेत्रीय विकास आयुक्त श्याम जगन्नाथन ने कहा कि नया मेगा सीएफसी छोटे निर्माताओं को अपने उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और देश के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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