महासमुंद। मिशन 90 Days को चलते हुए एक सप्ताह पुरे हो चुके है इन सात दिनों में विभिन्न स्थानों पर लगे पौधे को सिंचित किया जा रहा है इस पुनीत कार्य में छोटे से बच्चें लेकर वृद्धजन मिशन 90 Days के अभियान में अपनी सहभागिता निभा रहे है।
इस काम को संजीदगी से निभाने वाले नुरेन चंद्राकर का कहना है कि पेड़ पौधे हमारे सबसे अहम रिश्ते हैं। इनके साथ सांसों का रिश्ता है। इन्हें बचाना जरूरी है। बड़े होकर इनसे हमारी अगली पीढ़ी को छांव, हवा, पानी, फल सब मिलेगा। ये जड़ हैं हमारे। हमें पौधों को पानी देते समय आसपास पानी नहीं मिलता तो कार्य की निरंतरता बनाए रखने स्कूटी से भी पानी लेकर आते हैं। हम समस्याओं पर नहीं, समाधान पर ध्यान देकर अपने इस अभियान को एक सप्ताह से जारी रखे हुए हैं।
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मिशन 90 Days में हमर भुंइया के लोगों ने पानी की अनुपलब्धता वाले स्थानों पर लगे पौधों को पानी दी। चूंकि पानी से पौधों की दूरी लगभग आधे किलोमीटर थी। लिहाजा बच्चों और बड़ों ने तालाब से पौधों के बीच एक मानव श्रृंखला बनाई, बाल्टी से तालाब का पानी एक हाथों से दूसरे हाथों तक होते हुए पौधों तक पहुंच गया। इसी तरह पर्यावरण बचाने वालों को बुजुर्गों का साथ मिला। एक एक बाल्टी पानी लेकर बुजुर्ग भी साथ हुए।
गौरतलब है कि योशी चंद्राकर मिशन 90 Days में अपने बाल टीम के साथ सुबह साढ़े चार बजे उठकर नियत स्थानों पर पहुंच जाता है। इसके बाद सब मिलकर कोई हाथ में बाल्टी उठाकर, कोई कांवर में,कोई साइकिल पर तो कोई स्कूटर में पानी की व्यवस्था करने लगते हैं।
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