महासमुंद– कोरोना महामारी को मात देकर स्वस्थ होने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। कोरोना से जंग जीतने वाले फाइटर्स (मरीज) ठीक हो कर घर जाने की ललक और उनके चहरे पर बिखरती मुस्कान कुछ अलग ही बयाँ करती है मौत के मुहाने से वापस लौट आना किसे अच्छा नही लगता कोरोना फाइटर्स को मिला नया जीवन शुक्रगुजार है चिकित्सकीय अमले की मेहनत व् लगन का,जिसकी वजह से वे सकुशल अपने घर वापस पहुचकर अपने परिवारों के बीच अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हुए अपनी बसाए हुए कुनबा के लोगों के खुशियों में शामिल होते है.
इस सम्बन्ध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. आर. के. परदलका कहना है कि कलेक्टर कार्तिकेया गोयल के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में अनुभवी चिकित्सकीय अमले की लगन भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। जिनकी दिन-रात की लगन और मेहनत से कुछ ऐसे गंभीर प्रकरणों में भी मरीजों को नया जीवन मिला, जिनमें कुछ ने तो जीने की उम्मीद तक छोड़ दी थी और कुछ ऐसे भी मिले जिन्होंने बाहरी राज्य का निवासी होने के बावजूद महासमुंद जिले में ही कोविड का उपचार लेना बेहतर समझा।
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नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक मरीज ने बताया कि वे 70 वर्ष के हैं। उन्हें निमोनिया की परेशानी होने पर वे शहर के स्थानीय निजी चिकित्सालय में उपचार ले रहे थे, इस दौरान उनके चिकित्सक की सलाह पर उन्होंने कोविड-19 की जांच कराई और परिणाम पॉज़िटिव आने पर वे महासमुंद के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती हो गए। उन्होंने बताया कि भर्ती होते ही उनका बेहतर उपचार तत्काल शुरू कर दिया गया, ऑक्सीजन लगा कर जीवनरक्षक दवाओं सहित इन्जेक्शन्स भी लगाए गए। पहले घंटे से ही उन्हें राहत महसूस होने लगी.
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वे कहते हैं कि यहां मेट्रो सिटी जैसे बड़े-बड़े शहरों के नामी चिकित्सालयों से भी बेहतर चिकित्सकीय सेवाएं मिली, यही कारण है कि उन्होंने हालिया दौर में जिला भ्रमण पर रही राजाखरियार, ओड़िशा निवासी अपनी 67 वर्षीय बहन का उपचार भी जिले के डेडिकेटेट कोविड अस्पताल में ही करवाया और आज वे भी कोविड-19 से मुक्त हैं। स्वस्थ होकर घर लौटने का श्रेय वे यहां की चिकित्सकीय सेवा सुविधाओं को देते हुए बताते हैं कि उपचार के दौरान एक भी दवा बाहर से नहीं मंगवानी पड़ी, नाश्ता और भोजन भी बराबर सही समय पर मिलता था। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ की पूछ-परख, निगरानी और समुचित देख-भाल से यहां मरीजों को जल्द स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।
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तीसरा एवं चौथा प्रकरण क्रमशः शहर के गुडरू पारा के 58 वर्षीय बीपी व शुगर के मरीज और उनके कोविड पाॅजिटिव भाई का है। वे बताते हैं कि उन्हें एकाएक सांस लेने में परेशानी होने लगी थी, किन्तु बार-बार जांच कराने के बाद भी उनकी कोविड-19 रिपोर्ट ऋणात्मक ही मिल रही थी। वे जानते थे कि उन्हें पहले अनियमित रक्चाप और मधुमेह की पीड़ा सता चुकी थी, ऐसे में तकलीफ बढ़ती देख चिकित्सकों की सलाह पर बिना देर किए वे डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती हो गए और उनके भाई को होम आइसोलेशन में रखा गया। आज दोनों पूरी तरह स्वस्थ होकर कोरोना वायरस से जंग जीत चुके हैं।
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डाॅ. परदल ने बताया कि डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में डाॅ. कुलवंत आजमानी, डाॅ. के. गजभिए, डाॅ. हेमेश्वरी वर्मा, डाॅ. दिनेश सिन्हा, डाॅ. ओंकेश्वरी साहू व डाॅ. शुभा एक्का के सुपरविजन में पालीवार जिले के सबसे उम्दा चिकित्सकीय दल को ड्यूटी पर लगाया गया है। जिसमें सिस्टर इंचार्ज मीना तारन, स्टाफ नर्स वाटिका गोयल एवं फार्मासिस्ट पंकज साहू सहित संलग्न नर्सिंग स्टाफ व स्वास्थ्यकर्मी चैबीसों घंटे मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं।
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