दिल्ली-गृह मंत्री अमित शाह की अर्द्धसैनिक बलों में एक बड़ा स्वदेशी अभियान चलाने की परिकल्पना को गति देते हुए आज खादी ग्रामोद्योग आयोग और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के बीच अर्द्धसैनिक बलों को खादी कॉटन की दरियों की आपूर्ति करने का एक नया समझौता हुआ। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने हर साल 1.72 लाख खादी कॉटन की दरियों की आपूर्ति के लिए आईटीबीपी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
यह समझौता एक साल के लिए
इस समझौता पत्र पर खादी ग्रामोद्योग आयोग के उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी और आईटीबीपी के डीआईजी ने खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना और गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव विवेक भारद्वाज तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। यह समझौता एक साल के लिए किया गया है जिसके बाद इसका फिर से नवीकरण किया जाएगा। 1.72 लाख दरियों की कुल कीमत 8.74 करोड़ रुपये है।
नीले रंग की दरियों की आपूर्ति
विशिष्ट विवरण के अनुरूप खादी ग्रामोद्योग आयोग 1.98 मीटर लंबी और 1.07 मीटर चौड़ी नीले रंग की दरियों की आपूर्ति करेगा। खादी की इन दरियों को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कारीगर तैयार करेंगे। खादी की दरियों के बाद, खादी के कंबल, चादरें, तकिये के कवर, अचार, शहद, पापड़ और प्रसाधन सामग्री जैसे उत्पादों पर भी काम किया जाएगा।
ऐतिहासिक कदम
खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि इससे न सिर्फ हमारे बलों में स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि खादी कारीगरों के लिए बड़े पैमाने पर अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी होगा। अध्यक्ष सक्सेना ने कहा, ‘‘अपने जवानों को सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराना और इनकी समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी उच्च प्राथमिकता होगी। केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) से खरीद ऑर्डर मिलना खादी कारीगरों के लिए गर्व का विषय है जो कि देश के जवानों की अपनी तरह से सेवा कर रहे हैं।’’
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