महासमुंद। व्यास पीठ से पं. हिमांशु कृष्ण भारद्वाज ने रूखमणी विवाह का प्रसंग सुनाया और प्रभु कृष्ण के पास जब माता रूखमणी का पत्र पहुंचा कि पति रूप में मैने आपको वरण किया है। किंतु मेरा विवाह शिशुपाल के साथ तय हो गया है। जब प्रभु ने पत्र पढ़ा तो रूखमणी का हरण करने अकेले ही पहुंच गए।
प्रसंग के दौरान ही जैसे ही अपनी सखियों के साथ रूखमणी के कदम कथा पंडाल से कथा मंच की ओर बढ़ा वैसे ही कथा मंच माता कात्यायनी को समर्पित हो गया और लोग झूम-झूम कर बांकेबिहारी की देख छटा की भजन पर नाचने लगे। मंच में ही मुख्य जजमान प्रकाश चंद्राकर उनकी धर्मपत्नी ललिता चंद्राकर, सह जजमान आदिवासी समाज से बलराम ध्रुव कुंती ध्रुव , राजपूत ठाकुूर समाज से धर्मेन्द्र ठाकुर, प्रीति ठाकुर ने भगवान श्री कृष्ण को रूखमणी का हाथ लेकर कन्यादान किया। साथ ही भागवत भगवान की आरती की।
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भक्तों को काममुक्त करने के लिए की रास लीला
पं. हिमांशु जी ने कंशवध, कालयवन तथा मथुरा से द्वारिकापुरी में पहुंचने की कथा विस्तार से श्रवण कराया। उन्होंने रास लीला का बखान करते हुए कहा कि जो भगवान के रास में प्रवेश करता है वह कामयुक्त नही काममुक्त हो जाता है। जब भगवान श्री कृष्ण 11 वर्ष के थे तो अपने भक्तों को काममुक्त करने के लिए रास लीला की।
रास लीला की कथा श्रवण करने मात्र से व्यक्ति की सभी वासनाएं समाप्त हो जाती है। वासनाएं काम, लोभ, मद किसी भी रूप में हो सकता है। जो भी व्यक्ति इस धरती पर कदम रखता है उसे वासना रूपी मोह से सामना करना पड़ता है। उन्होंने रास लीला के माध्यम से गोपियों, कामदेव का अहंकार दूर किया। इसी तरह इंद्र के अहंकार को दूर करने गोवर्धन पर्वत धारण कर त्रेतायुग में अगस्त मुनि को दिए वचन को पूर्ण किया।
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भोजन के थाल में तुलसी पत्र
त्रेतायुग में जब राम अवतार हुआ तो माता सीता को अभिमान होने पर उनके अहंकार को दूर करने अगस्त मुनि को भोजन के लिए आमंत्रित किया लेकिन माता सीता अगस्त मुनि को भरपेट भोजन नही करा पाई और वे भगवान के शरण में गए तो भगवान भोजन के थाल में तुलसी पत्र रखने कहा। इतने में ही अगस्त मुनि तृप्त हो गए और मुनि महाराज ने पानी की मांग की इस पर प्रभु बोले द्वापरयुग में जब मेरा जन्म होगा तो आपकी प्यास बुझारूगां।
इंद्र ने जब घनघोर बारिश की तो गोवर्धन पर्वत से ब्रजवासियों की रक्षा की और अगस्त मुनि आह्वान किया कि जितना जल इंद्र बरसा रहा है उसे ग्रहण कर प्यास बुझाईएं। फिर क्या था दस दिनों तक इंद्र जल बरसता रहा और अगस्त मुनि उसे ग्रहण करते रहे। व्यास पीठ से भारद्वाज ने कहा कि भगवान तन की सुंदरता से नही मन की सुंदरता से मिलते है।
प्रेम का अर्थ समर्पण और त्याग
प्रेम में वासना का कभी भी कोई स्थान नही होता प्रेम का अर्थ तो केवल समर्पण और त्याग है तभी प्रभु मिल सकते है। रास लीला के बारे में हिन्दु समाज के लोग ही कलयुग के प्रभाव से भगवान श्री कृष्ण के बारे में विचित्र-विचित्र बातें करते है। जिस समय रास लीला हुई भगवान श्री कृष्ण की उम्र 11 वर्ष के थे। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में एक बार शास्त्र जरूर पढऩा चाहिए।
कथा श्रवण करने पहुंचे धरम कौशिश व बृजमोहन अग्रवाल
कथा श्रवण करने हजारों की भीड़ पहुंच रही है। सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिश, पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रिजमोहन अग्रवाल, चंद्रशेखर साहू, भाजपा जिलाध्यक्ष रूपकुमारी चौधरी, पूर्व मंत्री पूनम चंद्राकर, पूर्व विधायक डाॅ. विमल चोपड़ा, विधायक प्रतिनिधि दाऊलाल चंद्राकर, सेवनलाल चंद्राकर, पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रहास चंद्राकर, निरूपण चंद्राकर, दिलीप कौशिश, राम आसरे यादव, ओमप्रकाश चौधरी समेत स्थानीय व ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधि काफी संख्या में मौजूद थे। कथा का आकार्ण दिनों दिन बढ़ रहा है। दूसरे जिले से भी कथा श्रवण करने श्रद्धाल पहुंच रहे हैं। अपने आशीर्वचन में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिश व ब्रिजमोहन अग्रवाल ने कहा कि युवाओं को भी भागवत कथा श्रवण करना चाहिए तभी देश सुरक्षित रहेगा।
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