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हसदेव जंगल की कटाई को सरकार रूकवा दें तो नाम से पेड़ लगाने की आवश्यकता ही न पड़े- विनोद

एक पेड़ माँ के नाम’ और हसदेव के 2.73 लाख पेड़ अडाणी के नाम, माँ के नाम पाैधे रोपकर हसदेव की कटाई से प्रदेश वासियों का ध्यान भटका रहा भाजपा -विनोद 

हसदेव जंगल की कटाई को रोक दें तो नाम से पेड़ लगाने की आवश्यकता नहीं
Vinod Chandrakar-1

महासमुंद।सदियों से प्रकृति द्वारा संरक्षित संवर्धित हसदेव जंगल की कटाई को भाजपा सरकार रूकवा दें तो माता-पिता, रिश्तेदारों के नाम पर अलग से पेड़ लगाने की आवश्यकता ही न पड़े। भाजपा ने विगत वर्ष से एक अभियान चला रखा है माँ के नाम पर। जिसके तहत पाैधे लगाने का स्वांग रचा जा रहा है। इस बार पुन: यही स्वांग एक पेड़ माँ के नाम 2.0 के तहत रचा जा रहा है। उक्त बाते पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा है।

पूर्व संसदीय सचिव ने आगे कहा कि यदि एक पेड़ मां के नाम, तो फिर पूरा हसदेव जंगल किसके नाम? यदि मां के नाम पर पेड़ लगाने का स्वांग रचने के बजाय सदियों से प्रकृति द्वारा संरक्षित संवर्धित हसदेव जंगल की कटाई को भाजपा सरकार रूकवा दें तो माता-पिता, रिश्तेदारों के नाम पर अलग से पेड़ लगाने की आवश्यकता ही न पड़े।

सुनियोजित विनाश

पूर्व संसदीय सचिव चंद्राकर ने कहा कि गत वर्ष राज्यसभा में केंद्र ने बताया था कि परसा ईस्ट केते बासन खदान में पिछले वर्ष 2024 में जून तक 1 लाख पेड़ काटे जा चुके थे। इस जंगल में 2,73,757 पेड़ काटने का लक्ष्य रखा गया है। जून 2025 तक यह आंकड़ा लगभग डेढ़ लाख पहुँच चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा पेड़ लगाने का जो स्वांग रचा जा रहा है, जो केवल माँ के नाम पर प्रदेश वासियों को भावनात्मक रूप से हसदेव के मुद्दे से ध्यान भटकाने का एक सुनियोजित षड़यंत्र है।

हसदेव जंगल की कटाई को रोक दें तो नाम से पेड़ लगाने की आवश्यकता नहीं

यह सरकार माँ के नाम पेड़ लगाने का ढोंग रचकर हसदेव जंगल का सुनियोजित विनाश कर रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर हसदेव जंगल की कटाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। जिसे विपक्षी भाजपा विधायकों ने भी समर्थन दिया था। अब उन्हीं के सरकार में इस देवभूमि की कटाई पर भाजपा के लोग माैन होकर इस विनाश को देख रहे हैं।

यह भूमि सदियों से आदिवासियों की पहचान रही

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि भाजपा की सरकार ने आदिवासी समुदाय के अस्तित्व और पर्यावरण को अडानी की लूट के लिए कुर्बान कर दिया है। हसदेव अरण्य वह अद्भुत जंगल है, जहां प्रकृति ने अपनी पूरी खूबसूरती और जीवन को संजोया है। यह भूमि सदियों से आदिवासियों की पहचान रही है। उनकी परंपराओं और आस्थाओं का प्रतीक रही है। आज प्रकृति के अनमोल धरोहर को अडाणी को बेच दिया गया है। यह केवल एक जंगल की कटाई नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और भविष्य की विनाश की शुरुआत है। यह दुर्भाग्य है कि भाजपा ने सरकार बनते ही देवभूमि हसदेव जंगल की कटाई पर लगे रोक को हटाकर इसे अडानी को साैंप दिया।

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