दिल्ली :- वायुसेना प्रमुख (CAS) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कल वायुसेना मुख्यालय में हल्के लड़ाकू विमान प्रोग्राम की स्थिति की समीक्षा की। इस अवसर पर रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ, एचएएल और एडीए के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
भारत की आत्मनिर्भरता का पथप्रदर्शक
इस कार्यवाही की शुरुआत करते हुए, वायुसेना प्रमुख ने बताया कि एलसीए अपने विमान बेड़े के स्वदेशीकरण की दिशा में भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रयासों का पथप्रदर्शक रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना की प्रकृति को देखते हुए यह आवश्यक है कि सभी हितधारक इसकी सफलता के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। हल्के लड़ाकू विमान का यह प्रोग्राम देश की आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल का अग्रदूत रहा है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का पथप्रदर्शक है।
समीक्षा के दौरान पता चला कि एलसीए एमके 1 के सभी अनुबंधित लड़ाकू संस्करण भारतीय वायुसेना को सुपुर्द कर दिए गए थे। एचएएल के प्रतिनिधियों ने सीएएस को आने वाले महीनों में भी अनुबंधित ट्विन-सीटरों की समय पर डिलीवरी का आश्वासन दिया। एलसीए एमके 1 के अतिरिक्त, 83 एलसीए एमके-1ए विमानों को भी 2021 में भारतीय वायुसेना द्वारा अनुबंधित किया गया है। एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने उपस्थित लोगों को आश्वासन दिया कि एलसीए के इस उन्नत संस्करण की डिलीवरी फरवरी 2024 तक शुरू हो जाएगी।
एचएएल की सराहना
सीएएस ने एचएएल की सराहना करते हुए संकेत दिया कि इन आश्वासनों के आधार पर, एलसीए एमके 1ए को अगले साल की शुरुआत में भारतीय वायुसेना के परिचालन अड्डों में से एक में नए बनाए गए स्क्वाड्रन में शामिल किया जा सकता है। समीक्षा के दौरान, परियोजना में आई देरी के बावजूद, सीएएस ने सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की और एलसीए कार्यक्रम से सीखे गए सबक को भविष्य की स्वदेशी डिजाइन और विकासात्मक परियोजनाओं में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। अधिक सक्षम संस्करण की समय पर डिलीवरी के साथ, एलसीए एमके 1ए को आने वाले दिनों में अंतर्राष्ट्रीय अभ्यासों में भागीदारी के अतिरिक्त, अग्रिम ठिकानों पर तैनाती में वृद्धि किये जाने की संभावना है।
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