Home छत्तीसगढ़ एमएसपी में 917 रु. जोड़कर 3400 रु. में धान खरीदे साय सरकार...

एमएसपी में 917 रु. जोड़कर 3400 रु. में धान खरीदे साय सरकार : विनोद चंद्राकर

धान के एमएसपी में प्रति क्विंटल 69 रुपये की मामूली वृद्धि जो कि प्रति किलोग्राम सिर्फ 69 पैसे है।

हसदेव जंगल की कटाई को रोक दें तो नाम से पेड़ लगाने की आवश्यकता नहीं
Vinod Chandrakar-1

महासमुंद। एमएसपी में 917 रु. जोड़कर 3400 रु. में धान खरीदे साय सरकार इसकेअलावा धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3% की वृद्धि करना किसानों के हक पर डाका डालने जैसा है। पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंंद्राकर ने 2025-26 कृषि सीजन के लिए केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा पर कही है।

एमएसपी में हुई मामूली वृद्धि

उन्होंने आगे कहा है कि धान के एमएसपी में प्रति क्विंटल 69 रुपये की मामूली वृद्धि जो कि प्रति किलोग्राम सिर्फ 69 पैसे है, को बेहद निराशाजनक और राज्य भर के किसानों के साथ घोर अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में धान सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है। साल-दर-साल खेती की लागत में काफी वृद्धि हुई है। अन्य फसलों के लिए एमएसपी में 5 से 10% की वृद्धि की गई है। आए दिन खाद-बीज, कटाई, मिंजाई लागत दर में वृद्धि हो रही है। केंद्र इस बात से पूरी तरह वाकिफ है। फिर भी, मौजूदा एमएसपी बढ़ोतरी जमीनी हकीकत को नजर अंदाज कर बढ़ाई गई है।

एमएसपी में 917 रु. जोड़कर 3400 रु. में धान खरीदे साय सरकार : विनोद

एमएसपी में 917 रु. जोड़कर 3400 रु. में धान खरीदे साय सरकार : विनोद चंद्राकर

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि इस बार एमएसपी में 917 रू. बोनस की राशि को जोड़कर 3400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सरकार को धान खरीदी करनी चाहिए। पिछले साल धान के एमएसपी में 5.36 प्रतिशत वृद्धि हुई थी, 2183 से 117 रुपए बढ़ते हुए 2300 रुपए प्रति क्विंटल किया गया था, इस बार मात्र 3 प्रतिशत?, जबकि महंगाई वृद्धि दर लगभग 8 प्रतिशत है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने और सी 2 फार्मूले से लगात पर 50 प्रतिशत लाभ देने का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार ने एक बार फिर किसानों को धोखा दिया है।

कई खर्चो को नहीं किया गया शामिल 

इस बार खरीफ़ सीजन 2025-26 के लिए मंजूर किए गए एमएसपी की घोषणा के अनुसार धान पर कुल वृद्धि 3 प्रतिशत मात्र है, 2300 से बढ़ाकर 2369 अर्थात् 69 रुपए प्रति क्विंटल की है। सी 2 फार्मूले के अनुसार कृषि लागत में नकदी खर्च, खाद, बीज, पानी, रसायन, मजदूरी के साथ ही गैर नकदी लागत के अलावा जमीन की लीज रेंट और उससे जुड़ी खर्च पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाना चाहिए, साथ-साथ किसान परिवार के मेहनत के अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन दुर्भावनापूर्वक लागत में इनमें से कई खर्चो को शामिल नहीं किया गया।

न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि और बढ़ती महंगाई के चलते धान के खेती में कृषि लागत में एक साल के दौरान औषत वृद्धि 8 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन किसान विरोधी मोदी सरकार ने एमएसपी में मात्र 3 प्रतिशत की ही वृद्धि की है जो किसानों के साथ अन्याय है, अत्याचार है।

हमसे  जुड़े :-

आपके लिए /छत्तीसगढ़

watsApp https:FLvSyB0oXmBFwtfzuJl5gU