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बिजली दरों में वृद्धि कर उद्योगों को बंद करना चाहती है भाजपा : विनोद चंद्राकर

प्रदेश में लगभग 800 उद्योगों का होता है संचालन, 5 लाख मजदूर हो जाएंगे बेरोजगार ।

बिजली दरों में वृद्धि कर उद्योगों को बंद करना चाहती है भाजपा : विनोद चंद्राकर

महासमुंद:- बिजली दरों में वृद्धि से आज प्रदेश के लगभग 200 से अधिक उद्योग बंद होने के कगार पर है। बिजली दरों में वृद्धि का विरोध उद्योगों में तालाबंदी कर संचालक कर रहे हैं। वो दिन दूर नहीं जब भाजपा के 5 साल के कार्यकाल में प्रदेश पूरी तरह उद्योग विहीन हो जाएगा और प्रदेश के लाखों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा। उक्त बाते पूर्व संसदीय सचिव व पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा है

उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में नाकाम डबल इंजन की सरकार अब उद्योगों को षड़यंत्र पूर्वक बंद करवाकर इन उद्योगों में कार्यरत लगभग 5 लाख लोगों को बेरोजगार करने पर उतारू हो गया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उद्योगों को 6 रूपए प्रति यूनिट में बिजली दी जा रही थी। लेकिन, भाजपा की सरकार बनने के बाद इसे 7.60 रूपए प्रति यूनिट कर दिया गया।

बिजली दरों में वृद्धि कर उद्योगों को बंद करना चाहती है भाजपा : विनोद चंद्राकर

15 फीसदी तक एफपीपीएएस, 10 पैसे उपकर लिया जा रहा है। इसके चलते उत्पादन की लागत बढ़ गई है। उत्पादन लागत बढ़ने का असर लोहे और स्टील की कीमत पर पड़ेगा। 2-4 दिन में ही लोहे की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। कीमत बढ़ने से आम आदमी का मकान बनाना महंगा हो जाएगा। स्टील का उपयोग कई चीजों में होता है ऐसे में महंगाई दर भी बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 800 से अधिक उद्योगों का संचालन हो रहा है। आज ये उद्योगपति भाजपा सरकार को कोस रहे हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर करें भी तो क्या। अब उनके सामने ताला लटकाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उद्योगों में यदि ताला लग गया तो हजारों बेरोज़गारो को नहीं बल्कि लाखों परिवार को इसका दंश झेलना पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ को देश में उत्पादक राज्यों में गिना जाता है। छत्तीसगढ़ बेशक उत्पादक राज्य है। लेकिन उपभोक्ता की नजर से राज्य छोटा है। जाहिर सी बात है कि अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में उत्पादन महँगा होगा और बिकेगा भी। इसलिए आने वाले समय में राज्य को ना केवल बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। बल्कि जनता को महंगाई की दोहरी मार से गुजरना होगा।

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