Home छत्तीसगढ़ औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान और वन जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा किया गया आयोजन

औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

दंतेवाड़ा :-36गढ़ शासन के वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, दंतेवाड़ा के सहयोग से राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा विशिष्ट औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला वन काष्ठागार दंतेवाड़ा में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम दंतेवाड़ा वन मण्डल अधिकारी संदीप बलगा और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान भुवनेश्वर के शोध अधिकारी राहुल प्रकाश के विषेश सहायोग से समन्वयीकरण किया गया।

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान पूर्व भारत प्रांत समन्व्ययक व वरिष्ठ प्रवर्तक अधिकारी डॉ विवेक कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़कर कार्यशाला में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पारंपारिक ज्ञान से जमीनी स्तर पर काम व सेवा करने वाले लोगों को संस्था ने उनके ज्ञान को पुष्टीकरण करके मान्यता देने सरकार तक पहुंचाती है और भारत के महामहिम के द्वारा सम्मानित करवाती है।

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औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान भुवनेश्वर के शोध अधिकारी राहुल प्रकाश ने कार्यशाला को संचालित करते हुए औषधीय गुण प्रजाति पौधें का जानकारी संग्रह व प्रलेखन पर प्रशिक्षण दिया। विभिन्न प्रकार पेड़ पौधे, जड़ी बूटियों का फोटो प्रदर्शनी को दंतेवाड़ा वन मण्डल अधिकारी संदीप बलगा ने अवलोकन किया और आम जनता तक पहुचाने पर भविष्य में वैध्य सम्मेलन जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की मार्गदर्शन दिया।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ जेडी पंडा और दंतेवाडा डिप्टी फॉरेस्ट रेंजर के राजू ने बताया कि पारम्परिक वैद्यों के द्वारा प्रदत्त ज्ञान को जन जनता तक पहचाना और इसका प्रलेखन के साथ संरक्षण व संग्रहण करने में शासन द्वारा योजना बनाए तथा पोधारोपण करे।

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औषधीय पारंपरिक ज्ञान की खोज एवं प्रलेखन पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

कार्यशाला में आस्था विद्या मंदिर जावंगा के शिक्षक तथा ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया के निर्देशक अमुजुरी विश्वनाथ ने बताया कि वन उपज औषधीय पौधें और जड़ी बूटियों की पारंपारिक ज्ञान व्यवहार द्वारा बनाया गया दवाओं के एकस्व अधिकार प्राप्त करने में तथा दस्तावेजीकरण कर सरकार तक पहुचाने में गांव के लोगों स्थानीय शिक्षकों व शिक्षित युवाओं के मदद ले और पाठ्यक्रम के अंर्तगत प्रयोग परीक्षा हेतु वनस्पति संग्रह कार्यक्रम में हिस्सा लेकर विद्यार्थियों ने ज्ञान प्राप्त करे।

मालीगुड़ा के वरिष्ठ वैध्य लवचंद नाग ने जंगल में मिलने वाले औषधीय पौधे को संरक्षण तथा रोपण करने की शासन व प्रशासन से विनती किया। गुमरगुंडा आश्रम के स्वामी प्रेम स्वरूपानंद ने दंतेवाड़ा व बस्तर क्षेत्र में उपलब्ध थानिया ज्ञान और वन जड़ी बूटियों का व्यवहार और लाभ के बारे में सांझा किया। इस कार्यशाला में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान सहयोगी जादव चंद्र जानी, बारसूर, कटेकल्याण, बड़ेगुड्रा, हिरानार, कुआकोंडा, गुमरगुंडा, दंतेवाड़ा से पारंपरिक वैध्य, पर्यावरण प्रेमी और विद्यार्थी, वन विभाग कर्मचारी उपस्थित थे।

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