Home छत्तीसगढ़ महासमुंद आदिवासियों पर अत्याचार कर जनजातीय दिवस मनाने का औचित्य नहीं:विनोद चंद्राकर

आदिवासियों पर अत्याचार कर जनजातीय दिवस मनाने का औचित्य नहीं:विनोद चंद्राकर

जल,जंगल,जमीन बचाने लड़ रहे आदिवासियों पर अत्याचार बिरसा मुण्डा का अपमान -विनोद चंद्राकर

आदिवासियों पर अत्याचार कर जनजातीय दिवस मनाने का औचित्य नहीं:विनोद
Vinod Chandrakar-1

महासमुंद:-आदिवासियों पर अत्याचार कर जनजातीय दिवस मनाने का औचित्य नहीं,जल, जंगल, जमीन बचाने लड़ रहे आदिवासियों पर अत्याचार कर भगवान बिरसा मुण्डा का अपमान किया जा रहा है धरती बाबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें प्रणाम करते हुए पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि एक ओर पूरे प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर प्रदेश की भाजपा सरकार जनजातीय दिवस मनाने का ढोंग कर रही है। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जननायक थे, उन्होंने आदिवासी समुदाय को जल, जंगल, जमीन के बारे में जागरूक किया और उन्हें अपने हक की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा दी।

साय सरकार बरसा रही है लाठियां

अपने अधिकार व हक की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासियों पर भाजपा की साय सरकार लाठियां बरसा रही है। पूरे देश में आदिवासियों पर अत्याचार करना भाजपा की नीति बन गई है। जो आदिवासी सदियों से जंगलों के मालिक हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है, ताकि अडानी की खदानें चल सकें।

छत्तीसगढ़ में संविधान की पांचवी अनुसूची के क्षेत्र समाप्त कर दिये गये हैं? इसके तहत संरक्षित क्षेत्र से आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। आदिवादियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकार और पुरखों की विरासत का नष्ट करने का काम भाजपा कर रही है। ऐसे में जनजातीय गाैरव दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं। पूरे प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ा है। जंगल बचाने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वालों को पुलिस बल के माध्यम से खदेड़ा जा रहा है।

आदिवासियों पर अत्याचार कर जनजातीय दिवस मनाने का औचित्य नहीं:विनोद

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों द्वारा थोपी गई ज़मींदारी प्रथा, जबरन धर्म परिवर्तन और आदिवासी लोगों के पारंपरिक जीवन पर अत्याचारों के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी। धरती आबा बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन और उनके अत्याचारों के खिलाफ “उलगुलान” आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व किया।

भगवान बिरसा मुंडा के बताए मार्ग पर चलने वाला समाज है। उन्हीं की प्रेरणा से अपने अधिकार व हक की लड़ाई आदिवासी लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने आदिवासियों की सम्मान व उनके अधिकार को सुरक्षित रखने विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ नहीं काटे जाएंगे। भाजपा ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया था, लेकिन आज आदिवासियों के विरोध के बावजूद जंगल खाली करने को कहा जा रहा है और विरोध करने पर आदिवासी भाई-बहनों पर अत्याचार किया जा रहा है।

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