रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक आज हुई, जिसमें तीनों सेनाओं के लिए 22,800 करोड़ रुपये से भी अधिक मूल्य के पूंजीगत सामान की खरीद को मंजूरी दी गई। ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए डीएसी ने असॉल्ट राइफलों हेतु ‘थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स’ के स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण के लिए मंजूरी दी। ‘थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स’ का विनिर्माण भारत के निजी उद्योग द्वारा किया जाएगा और इनका उपयोग अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों द्वारा किया जाएगा। ‘थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स’ से सैनिकों को अंधेरे के साथ-साथ हर तरह के मौसम में लम्बी दूरी से सटीक निशाना लगाने में मदद मिलेगी, जिससे रात्रि में भी बड़ी तत्परता के साथ जंग करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी.
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सफल स्वदेशी ‘एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूएंडसी)’ कार्यक्रम के बाद डीएसी ने अतिरिक्त एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एडब्ल्यूएसीएस) इंडिया एयरक्राफ्ट की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकार्यता को दोबारा सत्यापित किया। इन विमानों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा मिशन प्रणालियों और उप-प्रणालियों की स्वदेश में ही डिजाइनिंग की जाएगी और फिर इनका विकास किया जाएगा तथा बाद में मुख्य प्लेटफॉर्म पर इन्हें एकीकृत किया जाएगा। ये प्लेटफॉर्म विमान पर ही कमांड एवं कंट्रोल तथा ‘पूर्व चेतावनी’ सुलभ कराएंगे, जिससे भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को हवाई क्षेत्र में कम से कम समय में प्रभावकारी वर्चस्व सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इन प्रणालियों को शामिल करने से हमारे देश की सीमाओं पर कवरेज बढ़ जाएगी और इससे भारतीय वायु सेना की हवाई रक्षा तथा आक्रामक क्षमता दोनों को ही काफी हद तक बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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डीएसी ने नौसेना के लिए मध्यम दूरी वाले ‘पनडुब्बी-रोधी युद्ध पी8 I’ विमान की खरीद को भी मंजूरी दे दी है। इन विमानों से समुद्री तटों की निगरानी, पनडुब्बी-रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) और एंटी-सरफेस वेसल (एएसवी) से हमले करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी.
डीएसी ने भारतीय तटरक्षक के लिए ‘ट्विन इंजन हैवी हेलिकॉप्टर (टीईएचएच)’ की खरीद को भी स्वीकृति दे दी है। इन विमानों से तटरक्षक को समुद्र में आतंकवाद की रोकथाम करने और समुद्री मार्गों के जरिए आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने के साथ-साथ तलाशी एवं बचाव अभियान चलाने के मिशन शुरू करने में मदद मिलेगी.
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