महासमुंद-वैवाहिक कार्यक्रम में इससे जुड़े अनेक फिजूल खर्चें समाज मे इस कदर अपनी पैठ बना चुका है कि इनसे बाहर निकलना केवल कागजों तक सीमित रह चुका था। कहा जाता है जब समुद्र मंथन होता है तो विष के साथ-साथ अमृत भी निकलता है। ठीक उसी प्रकार कोरोना संक्रमण के दौर में भी कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
जहाँ पूर्व में मांगलिक कार्यो मे जन सामान्य अपनी शक्ति से बाहर खर्च कर अपने सामाजिक रुतबे को पहचान देने के कारण अनावश्यक खर्चें करते हैं, वही गरीब तबके के लिए भी ये खर्चे, आवश्यक चीजों में गिने जाते है, जिसके कारण लोगों में बेवजह कर्ज का बोझ बढ़ जाता था और इसको चुकाने में उम्र बीत जाती थी। पर अब ऐसा नही है संक्रमण के इस समय मे लोग वैवाहिक कार्यक्रम में होने वाली बेवजह के खर्चो से बच रहे है।
वर या वधु दोनों पक्ष के तरफ से मात्र 20 हजार से 50 हजार तक के खर्च में अब शादी जैसे बड़े कार्यक्रम होने लगे है।पूर्व से ही राज्य शासन द्वारा कई योजनाओं के तहत सामूहिक विवाह करवाए जाते है। लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में लॉकडाउन की स्थिति में यह विवाह, सामूहिक विवाह के अंतर्गत आने वाले खर्च से भी कम खर्च में संपन्न हो रहा हैं।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बागबाहरा भागवत जायसवाल ने बताया कि विवाह की अनुमति के लिए न केवल गरीब परिवार अपितु सम्पन्न परिवार भी आते है। उन्हीं परिवारों से पता लगा कि इस कोरोना संक्रमण के दौर में शादियां कितनी सस्ती हो गई है। अगर वधु पक्ष के आभूषण को छोड़ दे तो दोनों पक्षों वैवाहिक अनुमानित लागत 20 हजार से 50 हजार तक आ रहा है। इससे वर-वधु दोनों पक्ष इस विवाह से काफी खुश है।
यह बदलाव की स्थिति निम्न, मध्यम और उच्च आर्थिक स्थिति रखने वाले सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित कर रही है। अनुविभागीय कार्यालय (राजस्व) बागबाहरा से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 651 लोगों को वैवाहिक कार्यो के लिए अनुमति प्रदान किया जा चुका है। इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए आवेदनों की संख्या बढ़ रही है, वहीं प्रशासन भी कोरोना के बीच रह कर आम जन जीवन को सामान्य बनाने में लोगो की मदद कर रहा है। आज भी कई जगह लॉकडाउन की वजह से कई शादियां टालनी पड़ी है।
विभिन्न धार्मिक परंपराओं के अनुसार हमारे देश में वैवाहिक कार्यक्रम के लिए कुछ ही ऐसे महीने होते हैं जिसमें विवाह शुभ माना जाता है। आम नागरिकों की चिंता इसी बात को लेकर थी कि ऐसे मांगलिक कार्यक्रम लॉक डाउन में शुभ मुहर्त पर संभव हो पाएगा कि नहीं। जनसामान्य की इन्हीं भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बागबाहरा ने लॉक डाउन के दौरान शादी की इजाजत कुछ शर्तों के साथ दी हैं।
पूर्व के नियमों और शर्तों में वर पक्ष और वधु पक्ष से 2 से 4 व्यक्तियों की मौजूदगी में वैवाहिक कार्यक्रम सम्पन्न किए जाते थे। परन्तु वर्तमान में इस नियम को शिथिल करते हुए वर और वधु दोनों पक्षों को मिला कर कुल 50 व्यक्तियों के साथ ये मांगलिक कार्य किए जा सकते है। इन शादियों में भी कोरोना संकटकाल के प्रोटोकॉल लागू हो रहे हैं जैसे मुंह में मास्क लगाना, हाथ धोना, सामाजिक दूरी का पालन करना, अधिक भीड़-भाड़ ना करना, सामूहिक भोजन का आयोजन ना करना एवं अनावश्यक आवागमन नहीं करना आदि प्रमुख नियमों का पालन सुरक्षा से किया जा रहा है। नियम और शर्तों के साथ ऐसे प्राप्त आवेदनों में वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित व्यक्तियों, रिश्तेदारों के नाम लिख कर अनुमति दी जा रही है।
ऐसे में कहीं न कहीं समाज में यह बात पहुंच रही है कि विवाह जैसे मांगलिक कार्य कम खर्चे और कुछ अनिवार्य परिवारिक सदस्यों के मध्य में करवाए जा सकते है। इससे बेफिजूल के खर्चों पर रोक लगेगी। कोरोना काल में लोग वैवाहिक कार्यक्रमों में होने वाले बेफिजूल खर्चो पर पुनः विचार कर अपने रूढ़ि-धारणाओं को बदल रहे है।
स्थानीय प्रशासन आम नागरिकों से अपील कर रहा है कि कोरोना की जानकारी ही कोरोना से बचाव है। सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करना, समय समय मे हाथ धोना, अनावश्यक घर से बाहर न निकलना ,मास्क पहनना आदि कोरोना सक्रमण से बचाव के तरीके है।