बेवजह अस्पताल पहुंचने वालों को सिविल सर्जन से स्लोगन सुना कर वापस भेजा-

महासमुंद: जीत ही लेंगे बाजी हम-तुम खेल अधूरा छूटे न, लॉक डाउन का सुरक्षा बंधन हमसे-तुमसे टूटे न… शब्दों से गुथे खुद के लिखे अल्फाजों में नारे गुनगुनाते हुए सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके परदल ने जिला चिकित्सालय के ओपीडी में गुरूवार की शुरूआत की। सिलसिला देर शाम मरीज और उनके परिजनों की आवा-जाही थमने तक लगातार जारी रहा। दरअसल, कोविड 19 बनाम महासमुंद की लड़ाई में गुरूवार 09 अप्रैल 2020 से जिला चिकित्सालय में एक और पहल शुरू की गई है। जिसमें डॉ परदल के साथ-साथ अस्पताल प्रबंधन भी स्लोगन, नारे और संक्रमण फैलाव के प्रसंगां के जरिए लोगों को मनोरंजनात्मक ढंग से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के तौर-तरीके समझाता नजर आ रहा है.
कोरोना वायरस कंट्रोल रूम के जिला नोडल अधिकारी डॉ आई नागेश्वर राव ने बताया कि दरअसल, सरकार द्वारा दी जा रही संक्रमण रोकथाम संबंधी सुरक्षा समझाइश के बाद भी कुछ लोग या तो फैलाव के खतरे से अनजान हैं या फिर लापरवाही पूर्वक गंभीर समस्या को नजर-अंदाज करते हुए सामान्य परेशानियों को अनावश्यक भाव देने की गलती कर रहे हैं। बता दें कि लॉक डाउन के दिनों में भी जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन औसतन तीस से चालीस ऐसे मरीज उपचार लेने के लिए आ रहे हैं, जिनमें रक्तचाप और मधुमेह जैसे गैर संचारी रोगों की सामान्य समस्याएं देखी जा रही हैं। इनके चलते चिकित्सालय परिसर में भी संक्रमण के खतरे का दायरा और संभावनाएं दोनां बढ़ जाते हैं.
समस्या को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन डॉ परदल ने चिकित्सकों संहित संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की गई है। जिसके तहत रूटीन चैकअप कराने के बाहाने बेवजह अस्पताल आ कर कोरोना वायरस के संक्रमण को न्योता दे रहे लोगों को अब मनोवैज्ञानिक तरीकों से भी समझाया जाएगा। ताकि उनमें कोविड 19 के जानलेवा खतरे के प्रति जागरूकता बढ़े.
बच्चों को बचाने फील्ड में सुना आती है लोरियां
इधर, कोरोना वायरस कंट्रोल रूम में तैनात एएनएम सुनीता चंद्राकर भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क हैं। वे जब भी किसी ऐसे व्यक्ति को होम आइसोलेट करती हैं जो कोरोना वायरस के संदेहास्पद प्रकरण से संबंध रखता है, तो विशेष तौर पर बेटियों को संक्रमण से बचाने के लिए वे स्व-रचित लोरियां और कविताएं सुना कर हाथ-धुलाई और क्वारंटीन की नियमावली का पाठ पालकों को सहज ही समझा आती हैं.

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