महासमुंद: राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय मानचित्र पर आत्महत्या रोकथाम अभियान नवजीवन विश्व स्वास्थ्य संगठन और मेलबर्न विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया के शोधार्थियों तक चर्चित रहा है। इसके साथ ही अब यह अभियान पूरे प्रदेश में एक अनुकरणीय मार्गदर्शक की भूमिका में भी जुड़ गया है।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर सुनील कुमार जैन द्वारा महासमुंद से शुरू किए गए इस अभियान को रोल मॉडल के रूप में पूरे प्रदेश में लागू करने की कवायद भी तेज कर दी गई है। इस कड़ी में 10 जनवरी को छत्तीसगढ़ के 27 जिलों के 69 अधिकारियों ने महासमुंद आकर नवजीवन अभियान का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिणार्थियों का अमला पहले घोड़ारी और कांपा के नवजीवन केंद्र में सखा-सखी और ग्रामीणों से रूबरू हुआ।
यहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे सहित निम्हान्स से प्रशिक्षण प्राप्त अनुभवी सलाहकारों ने उन्हें नवजीवन केंद्रों की उपयोगिता के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रशिक्षणार्थियों ने सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके परदल से जिला अस्पताल महासमुंद में संचालित स्पर्श क्लीनिक में प्रदाय की जा रही निःशुल्क परामर्श, जांच एवं आवश्यक दवा वितरण जैसी चिकित्सकीय सुविधाओं एवं सेवाओं की बारीकियां सीखीं।
इस दौरान नवजीवन अभियान के नोडल अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक संदीप ताम्रकार ने अभियान संबंधी तकनीकी जानकारी प्रस्तुत की। वहीं, राष्ट्रीय मानसिक कार्यक्रम के नोडल अफसर डॉ छत्रपाल चंद्राकर ने तनाव दूर करने के तरीके सुझाए। अंतिम दौर में गैर संचारी कार्यक्रम की राज्य सलाहकार श्रीमती सुमी जैन सहित उपस्थित अधिकारीगणों ने कलेक्टर जैन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत डॉ रवि मित्तल से अभियान को और बेहतरी से क्रियान्वित करने के संबंध में चर्चा की।
इस वृहद कार्यशाला में प्रदेश भर से आए कुल 69 प्रतिनिधियों में चिकित्सक, मनोरोग सलाहकार, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों सहित बड़ी संख्या में जिले के सखा-सखी और नवजीवन प्रेरकों ने भाग लिया। कार्यक्रम संचालन में मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता रामगोपाल खूंटे, ईएमओ टेक लाल नायक एवं केस रजिस्ट्री स्टाफ गौतम यादव का योगदान उल्लेखनीय रहा।
बांटे अनुभव छलके खुशी के आंसू
केस वन- नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अभियान नवजीवन से लाभान्वित हुए एक ऐसे व्यक्ति ने प्रशिक्षणार्थियों से मुलाकात की जो कभी पारिवारिक तनाव के चलते आत्महत्या करने के लिए सुसाइड नोट तक लिख चुके थे। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नि पेशे से मितानिन है। उसी ने उसे प्रेरित किया और जिला अस्पताल के स्पर्श क्लीनिक में डॉ चंद्राकर से परामर्श और दवाएं दिलवाईं। अभियान से लाभान्वित होकर आज वह पूरी तरह ठीक है और महासमुंद में ही जूते और चप्पल दुकान चला कर खुशी से अपने परिवार के साथ जीवन-यापन कर रहा है।