कहा जाता है कि पढने-लिखने,सीखने-सिखाने के लिए कोई उम्र की जरूरत नही होती है.होती तो है केवल एक जज्बा की,”हां” यह भी काम आसानी से सीखा या किया जा सकता है जरूरत होती है एक “लगन”,”इच्छा” और “दृढ शक्ति”की इस ऊम्र में कुछ कर जाना है.
इसी बात को चरित्रार्थ कर रही है ऊम्र के अंतिम पड़ाव में पहुची केरल कोल्लम की 105 वर्षीय महिला भागीरथी अम्मा जो केरल राज्य साक्षरता मिशन के तहत आयोजित 4 वीं कक्षा के समकक्ष परीक्षा में शामिल हुईं बताया जाता है कि अपनी मां के मौत के कारण पढ़ाई छोड़ना पड़ा था भाई बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी आ गई थी इन कारणों से वह स्कूल में पढ़ाई नहीं कर पाई थी.इसी चाह ने उसे इस ऊम्र में पढाई करने के लिए प्रेरित किया.
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साक्षरता मिशन के निर्देशक का कहना है कि भागीरथी अम्मा केरल साक्षरता मिशन के अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा ऊम्र की बुजुर्ग जो समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली पहली महिला बन गई है उनका यह भी कहना है कि भागीरथी अम्मा को लिखने में कोई दिक्कत नहीं होती है और उनकी याददाश्त भी काफी तेज है
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