महासमुंद-21 जून रविवार को होने वाला सूर्य ग्रहण कई मायनों में इस बार महत्वपूर्ण है.यह सूर्य ग्रहण आषाढ़ अमावस्या 21 जून को वलयाकार यानी फायर रिंग के रूप में दिखेगा.शास्त्रों के अनुसार जब भी कोई ग्रहण होता है तो 12 राशियों पर इसका प्रभाव पड़ता है. कुछ राशि के जातकों के लिए यह प्रभाव सकारात्मक तो कुछ राशियों के लिए ये नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता हैं।
इस वर्ष का सूर्य ग्रहण कुछ स्थानों पर यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में भी दिखाई देगा, कुछ जगहों पर सूर्य पूरी तरह से ग्रसित नहीं होगा। इसी कारण किसी जगह पर यह वलयाकार के रूप में दिखेगा और कुछ जगहों पर यह कुणडलाकार या कंगन के आकार में दृश्यमान होगा।
सूर्य ग्रहण भारत के सुरतगढ़, कुरुक्षेत्र,यमुनानगर,टिहरी, देहरादून, सिरसा जोशीमठ आदि प्रसिद्ध शहरों में यह कुणडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। चंडीगढ़, हैदराबाद, नई दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, कोलकाता, चेन्नई, शिमला, लखनऊ, आदि में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में देखने को मिलेगा।
पंडित रोशन शर्मा गुडरुपारा निवासी ने बताया कि सूर्यग्रहण मृगशिरा नक्षत्र पर मिथुन राशी में है इस राशि वालो पर विशेष असर डालेगा इस राशि के स्वामियों को ग्रहण को देखना नही चाहिए व् ग्रहणकाल में बाहर नही निकलना चाहिए.बाकी राशियों पर सूर्य ग्रहण का फल इस तरह होगा.
मेष:धन लाभ, वृषभ:-कष्ट, मिथुन:-घात, कर्क:-हानि ,सिंह:-लाभ ,कन्या:-सौख्य, तुला:-अपयश ,वृश्चिक:-मृत तुल्य कष्ट ,धनु :-स्त्री कष्ट ,मकर:-सौख्य, कुंभ:-चिंता, मीन:- व्यथा
सूर्यग्रहण का सूतक समय 20 जून को रात 10.25 ग्रहण स्पर्श-रविवार 10.25 बजे दिन में मध्य-12.11 बजे मोक्ष दोपहर 01.59 बजे ग्रहण काल 0.9936 है.
21 जून सूर्यग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?
पंडित रोशन शर्मा ने बताया कि सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें | ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं |
ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते।
ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए। ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए।बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन ये सब कार्य वर्जित हैं।ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
सामान्य दिन से सूर्यग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) दस लाख गुना यदि गंगाजल पास में हो तो सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फल दायीं होता है। ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के समय उपयोग किया हुआ आसान, माला ,गोमुखी ग्रहण पूरा होने के बाद गंगा जल में धो लेना चाहिए ।
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