वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019-2025 के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर गठित कार्यदल की रिपोर्ट जारी की-

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केन्‍द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्‍ली में आयोजित एक संवाददाता सम्‍मेलन के दौरान राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन से जुड़ी विषय-वस्‍तु पर एक संक्षिप्‍त ब्यौरा दिया। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन (लाख करोड़) अमेरिकी डॉलर की जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) हासिल करने के लिए भारत को इस अवधि के दौरान अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं पर लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने होंगे। पिछले दशक (वित्त वर्ष 2008-17) में भारत ने बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास पर लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर निवेश किए हैं। इस दिशा में मुख्‍य चुनौती बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास पर किए जाने वाले वार्षिक निवेश में वृद्धि करना है, ताकि इन सुविधाओं का अभाव निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के विकास में बाधक न बन जाए। वित्त मंत्री ने यह संकेत दिया कि सरकार इस कार्यदल की सिफारिशों पर गौर करेगी और जल्‍द ही इस दिशा में आवश्‍यक कदम उठाएगी.

प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी ने वर्ष 2019 के अपने स्‍वतंत्रता दिवस संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला था कि अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे जिसमें सामाजिक एवं आर्थिक अवसंरचना परियोजनाएं भी शामिल हैं.

इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए वित्त मंत्री की मंजूरी से वित्त वर्ष 2019-20 से लेकर वित्त वर्ष 2024-25 तक के प्रत्‍येक साल के लिए राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) तैयार करने के लिए एक कार्यदल का गठन किया गया था। आर्थिक कार्य विभाग में सचिव इस कार्यदल के अध्‍यक्ष थे। नीति आयोग के सीईओ, व्‍यय सचिव, प्रशासनिक मंत्रालयों के सचिव और आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव (निवेश) इसके सदस्‍य थे, जबकि आर्थिक कार्य विभाग में संयुक्‍त सचिव (आईपीएफ) इसके सदस्‍य सचिव थे.

इस कार्यदल की पहली बैठक सितम्‍बर, 2019 में हुई थी। इसके बाद बुनियादी ढांचागत विकास में संलग्‍न विभिन्‍न विभागों/मंत्रालयों, बुनियादी सुविधाओं के विकास एवं निर्माण में संलग्‍न कंपनियों, बैंकों/वित्तीय संस्‍थानों, प्राइवेट इक्विटी फंडों एवं सीआईआई, फिक्‍की तथा एसोचैम सहित विभिन्‍न उद्योग संगठनों के साथ अनेक बैठकें आयोजित की गई थीं, ताकि अवसंरचना क्षेत्र में आवश्‍यक सुधारों पर सुझाव प्राप्‍त हो सकें.

अपनी तरह की इस पहली कवायद के बाद सावधिक समीक्षा प्रक्रिया होने की संभावना है। राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत दरअसल अवसंरचना परियोजनाओं पर भावी दृष्टिकोण पेश किया जाएगा जिससे रोजगारों का सृजन होगा, जिंदगी जीना और भी अधिक आसान होगा तथा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं तक सभी की समान पहुंच संभव होगी। इससे विकास को और अधिक समावेशी बनाना संभव हो पाएगा। राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में आर्थिक एवं सामाजिक अवसंरचना परियोजनाएं शामिल हैं।

अब तक संकलित सूचनाओं के आधार पर वित्त वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2025 तक की अवधि के दौरान भारत में अवसंरचना क्षेत्र पर कुल परियोजना पूंजीगत व्‍यय 102 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक रहने का अनुमान है।

वित्त वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2025 तक भारत में अवसंरचना पर होने वाले अनुमानित पूंजीगत व्‍यय का लगभग 70 प्रतिशत विभिन्‍न सेक्‍टरों जैसे कि ऊर्जा (24 प्रतिशत), सड़कों (19 प्रतिशत), शहरी (16 प्रतिशत) और रेलवे (13 प्रतिशत) के खाते में जाएगा.