बागबाहरा -आज वट सावित्री का पवित्र पर्व है.यह पर्व हमें वट वृक्ष एवम् सावित्री के रूप में नारी के ज्ञान,बुद्धि चातुर्य त्याग एवं समर्पण सहित नारी सशक्तीकरण का संदेश देता है.
ऐसे पावन पर्व पर बागबाहरा कोमाखान क्षेत्र के ग्राम बामनसरा में स्थित लगभग 400 वर्ष पुराने वट वृक्ष को बचाने ग्रीन केयर सोसायटी ने गुहार लगाई है.ग्रीन केयर अध्यक्ष विश्वनाथ पाणीग्राही ने बरगद वृक्ष का विस्तृत वृतांत की जानकारी कलेक्टर महासमुंद को पत्र लिखकर दी है.
http;-राष्ट्रपिता के याद में रामजानकी मन्दिर परिसर में वृक्षारोपण किया गया
इस वट वृक्ष की महत्ता के बारे में बताते हुए पाणिग्राही ने कहा कि इस वृक्ष के नीचे कोमाखान जमींदार परिवार के पूर्वजों द्वारा स्थापित बस्तरीन माता(देवी) की स्थापना की गई है.इसलिए इसे देव वृक्ष के रूप में भी जाना जाता है.विजयादशमी के अवसर पर प्रतिवर्ष कोमाखान राज परिवार द्वारा सबसे पहले यहां आकर पूजा की जाती है.पूर्व केम्पा अधिकारी इसे डी वृक्ष मानते हुए इसकी रूपरेखा तैयार करने वन मंडलाधिकारी महासमुंद एवं परिक्षेत्र अधिकारी बागबाहरा को आदेश दिया था तथा नियमानुसार बरगद वृक्ष समिति एवम् ग्रामवासियों की उपस्थिति में वन विभाग के सिस्टम के अनुसार मेजरर्मेंट भी हुआ था.
इस वृक्ष को सुरक्षित एवम् संरक्षित कर जिला पर्यटन में जोड़ने अनुरोध कलेक्टर से किया गया है.यह वट वृक्ष आज से कुछ वर्ष पूर्व एक एकड़ प्रक्षेत्र में फैला था किन्तु संरक्षण के अभाव मे क्षरीत होते होते आज की स्तिथि में आधा एकड़ में बचा है.अनेक शाखा प्रशाखाओं के साथ यह वट वृक्ष जैव विविधता का उत्कृष्ट उदाहरण है यदि इस वट वृक्ष को संरक्षित कर पर्यटन के साथ जोड़ा जाता है तो निश्चित ही यह महासमुंद जिला ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश का गौरव बनेगा.
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