मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के सामने अस्तित्व का संकट

मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृव वाली कांग्रेस सरकार जबर्दस्त संकट में घिर गई है. पूर्व  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के 17 विधायक कल अचानक बंगलुरु पहुंच गए.इसके बाद राजनैतिक घटनाक्रम तेजी से बदला. देर शाम मुख्यमंत्री निवास पर सभी मंत्रीमंडल के सभी सदस्यों की बैठक हुई. बैठक में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. बैठक के बाद सभी मंत्रियों ने इस्तीफा सौंप दिया. मुख्यमंत्री कमलनाथ, जो कल ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली आए थे लेकिन सियासी संकट के मद्देनजर उन्हे राजधानी भोपाल रवाना होना पड़ा.

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आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। मंत्रियों ने कमलनाथ से मंत्रिमंडल के पुनर्गठन का अनुरोध किया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के नाराज विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। गौरतलब हो कि बेंगलुरू में ठहरे हुए हैं विधायकों में वर्तमान सरकार के 5 मंत्री भी शामिल है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रत्याशियों पर कोई भी निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाएगा।

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मध्य प्रदेश में  विधानसभा का समीकरण देखें तो 230 विधानसभा सीट हैं। दो विधायकों का निधन हो चुका है। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। सरकार के लिए जरूरी आंकड़ा 115 है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, 2 बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन है। उसके पास कुल 121 जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं। भाजपा ने राज्य विधानसभा के 16 मार्च के बजट सत्र और 26 मार्च को होने वाली तीन सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव से पहले अपने 107 विधायकों की एक बैठक बुलाई है।किसी राज्य की विधान सभा के सदस्य राज्यसभा चुनाव में मतदान करते हैं

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