आधुनिक ट्रेन नियंत्रण प्रणाली के विस्तृत परीक्षणों के लिए पूरक डब्ल्यूपी 2018-19 में पायलट परियोजनाओं के रूप में कुल 1810 करोड़ रुपये की लागत वाले 640 रूट किलोमीटर के 4 कार्यों को मंजूरी,दिल्ली-मुम्बई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर इसे पृथक रूप से सुनिश्चित किया जाएगा
भारतीय रेलवे ने एलटीई आधारित एमआरटीसी के साथ आधुनिक ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को कार्यान्वित कर अपने समूचे नेटवर्क पर अपनी सिग्नलिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण करने का निर्णय लिया है। यह भारतीय रेलवे की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण परियोजनाओं में से एक है, जिसके तहत सुरक्षा एवं लाइन क्षमता को बेहतर करने और अपेक्षाकृत अधिक रफ्तार से रेलगाडि़यों को चलाने के लिए सिग्नलिंग प्रणाली का उन्नयन करने की परिकल्पना की गई है।
तदनुसार, समूचे भारतीय रेलवे नेटवर्क पर सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण के काम को 77,912 करोड़ रुपये की लागत वाले कार्यकलाप कार्यक्रम 2018-19 में शामिल किया गया है, जिसे नीति आयोग एवं रेलवे के विस्तारित बोर्ड (ईबीआर) की मंजूरी के साथ-साथ आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) से स्वीकृति मिलने के बाद लागू किया जाएगा। इस कार्य में निम्नलिखित शामिल हैं :-
· स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली
· इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम
· रिमोट निदानकारी एवं भविष्यसूचक रखरखाव प्रणाली
· लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी) प्रणाली
· केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण प्रणाली (सीटीसी) / ट्रेन प्रबंधन प्रणाली (टीएमएस)
पूरे देश में सिग्नलिंग प्रणाली के उपर्युक्त आधुनिकीकरण कार्य को शुरू करने के तहत विस्तृत परीक्षणों के लिए पूरक डब्ल्यूपी 2018-19 में पायलट परियोजनाओं के रूप में कुल मिलाकर 1810 करोड़ रुपये की लागत वाले 640 रूट किलोमीटर (केएम) के 4 कार्यों को मंजूरी दी गई हैं। चार खंड ये हैं – दक्षिण मध्य रेलवे पर रेनिगुन्टा (आरयू) – येरागुंटला (वाईए) खंड, पूर्वी तटीय रेलवे पर विजयनगरम (वीजेडएम) –पालसा (पीएसए) खंड, उत्तरी मध्य रेलवे पर झांसी (जेएचएस) – बीना खंड और मध्य रेलवे पर नागपुर (एनजीपी)-बडनेरा (बीडी) खंड। ये भारी यातायात वाले भारतीय रेलवे के कुछ व्यस्ततम रूटों में शामिल हैं।
भारतीय रेलटेल निगम लिमिटेड (आरसीआईएल) के 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली मेसर्स रेलटेल एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) को भारतीय रेलवे की ओर से इन चारों पायलट परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं और इनका फिलहाल आकलन हो रहा है।
दिल्ली-मुम्बई और दिल्ली–हावड़ा के उच्च घनत्व वाले मार्गों पर सफर में लगने वाले समय को मौजूदा 18 घंटे से कम करके 12 घंटे के स्तर पर लाने के लिए ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक करने से जुड़े कार्यों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को इन दोनों रूटों या मार्गों पर पृथक रूप से सुनिश्चित किया जाएगा।
क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम का परीक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न https://t.co/XpLCFHRyWO via @Daily News Services
— DNS (@DNS11502659) December 23, 2019