कोरोना की मुसीबत से निपटने सखा-सखी और प्रेरक अमल में ला रहे नवजीवन की सीख.
महासमुंद: एक मार्च 2020 का दिन जब भारत की राजधानी दिल्ली में कोविड 19 से पीड़ित देश के पहले मरीज की पहचान हुई। महज पखवाड़े भर में ही 15 मार्च को प्रदेश का पहला संक्रमित प्रकरण लंदन से रायपुर लौटी युवती के रूप में सामने आ गया। कभी प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो कभी पुलिस ने लट्ठ भी बरपाए। संक्रमण की रफ्तार करने वाले सरकारी नुस्खे काफी हद तक कारगर भी रहे। बावजूद इसके स्वस्थ होने वालों की तुलना में संज्ञान में आ रहे नए मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण उतार-चढ़ाव की संदेहास्पद स्थिति लगातार बनी ही हुई है.
इस बीच जिले की किस्मत के धनी जिले महासमुंद में कोरोना वायरस को पैर पसारने से रोकने की सफलता अब भी बरकरार है। श्रेय उत्कृष्ठ प्रबंधन और व्यवस्था सेवाओं को बनाए रखने के लिए चौबीसों घंटे डटे प्रशासन-पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अमलों सहित उन सखा-सखी और नवजीवन प्रेरकों को भी जाता है जो आत्महत्या रोकथाम और तनाव प्रबंधन के समायोजन से अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने वाली जिले की पहल नवजीवन का हिस्सा हैं। मुश्किल की घड़ी में भी ये जान की परवाह किए बिना हर संभव सेवा प्रदान करने में तत्परता दिखाते हुए संकटमोचन की भूमिका में उभर कर सामने आ रहे हैं.
बता दें कि अभियान नवजीवन की शुरूआत कलेक्टर सुनील कुमार जैन द्वारा 10 जून 2019 जिला महासमुंद से की गई है। इसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के मार्गदर्शन में नवजीवन अभियान के जिला नोडल अधिकारीसंदीप ताम्रकार एवं एनएमपीएच के नोडल अफसर डॉ छत्रपाल चंद्राकर द्वारा क्रमशः प्रबंधकीय व जागरूकता कार्यशालाओं का संपादन किया गया। परिणाम स्वरूप आत्महत्या रोकथाम एवं तनाव प्रबंधन का प्रशिक्षण लेकर स्वस्फूर्त रूप से जुड़ने वालों में कुल पांच हजार नौ सौ तिरालीस जन-प्रतिनिधी, शिक्षक, मितानिन, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक पुरुष एवं महिला कार्यकर्ताओं सहित शासकीय एवं गैर शासकीय संस्थानों व संगठनों के सदस्य बतौर सखी-सखा और प्रेरक शामिल हुए। एक-दूसरे के दुख और तकलीफों को साझा कर तनाव प्रबंधन अपनाने वाले इन प्रशिक्षणार्थियों का मूल मंत्र, आज कोरोना वायरस के चलते उभरी निराशा को आशा में बदल कर लोगों में नवजीवन की सार्थकता को चरितार्थ करता नजर आ रहा है। आइए जानें ऐसे ही कुछ अनुकरणीय विवरण
सखा समूह सिखा रहा मुसीबत में काम आना
ग्राम पंचायत बेलसोंडा में नए और पुराने सभी जनप्रतिनिधियों और गांव के जागरूक सियानजनों ने अस्थाई तौर पर खुद की राशन दुकान खोल ली। शासन द्वारा सूखा राहत कोष के तहत दो क्विंटल अनाज वितरण के बाद भी जरूरत पड़ने पर संकट और तनाव को दूर करने के लिए आपसी सहयोग से एक क्विंटल खाद्यान्न की अतिरिक्त पूर्ती की गई। ग्राम सचिव गावस्कर दास मानिकपुरी ने बताया कि मदद के लिए एक-दूसरे को एकत्र करने में नवजीवन अभियान का प्रशिक्षण बहुत काम आया.
सखी घर पर पहुंचा रहीं जरूरत का सामान
जिले की तकरीबन सवा दो हजार मितानिनां यानी नवजीवन सखियों ने जरूरतमंद ग्रामीणों को उनके घर जाकर सूखा राशन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया। जिला मितानित समन्वयक जागति बरेठ के मुताबिक ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति द्वारा प्रदत्त खाद्यान्न में चावल, दाल, हरी सब्जी व मसाले वितरित किए जा रहे हैं। साथ ही सभी से नशा छोड़ कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनोरंजनात्मक तरीके से समय बिताने व घर पर ही रहने की अपील कर जा रही है.
प्रेरक भिजवाते हैं निराश्रितों को भोजन
लॉक डाउन के बाद से ही एक पंडाल के नीचे रोजाना सैकड़ां जरूरतमंदों की क्षुधा शांत हो जाती है। शा. उच्च. माध्य. विद्यालय बेमचा में पदस्थ प्रशिक्षण प्राप्त नवजीवन सखा तुलेंद्र सागर पेशे से स्काडटर हैं। बताते हैं कि शासन से विधि सम्मत अनुमति ली गई है। जैन समाज, राम जानकी मंदिर और गंधेश्वर मंदिर ट्रस्ट, स्काडट गाइड जिला संघ सभी मिल कर रोजाना निराश्रित, विक्षिप्त और विकलांग लोगों को भोजन पका कर उपलब्ध कराते हैं। तनाव दूर होता है साथ में संतुष्टि भी मिलती है.
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