रायपुर -यदि आप दस रूपए में भरपेट भोजन या मंगोड़ी का लुफ्त लेना चाहते हैं, तो निःसंकोच जगदलपुर मुख्यालय के केन्द्रीय जेल का रूख कर सकते हैं। यहां कैदियों द्वारा स्वादिष्ट मंगोड़ी बनाया जाता है, जिसे खाकर आप दुबारा खाना जरूर पसंद करेंगे। केन्द्रीय जेल जगदलपुर के मुख्यद्वार के बगल में जेल प्रशासन द्वारा ‘आस्था दाल-भात केन्द्र और मंगोड़ी सेंटर‘ संचालित किया जा रहा है। कैदियों से मुलाकात करने वालों के अलावा आम लोगों को भी यहां 10 रूपए में भरपेट भोजन एवं चटनी के साथ मंगोड़ी मिल रहा है। अपने सगे-संबंधियों एवं परिचितों से मुलाकात करने के लिए दूर-दूर से केन्द्रीय जेल जगदलपुर आने वाले लोगों को अब भोजन एवं नाश्ते की चिंता नहीं रहती। जिला एवं जेल प्रशासन के इस अभिनव प्रयास से केन्द्रीय जेल परिसर जगदलपुर में दाल-भात और नाश्ता सेन्टर शुरू किया गया है। भोजन और मंगोड़ी कैदी बनाते हैं और इसके प्रबंधन काम जेल प्रशासन देखता है।
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उल्लेखनीय है कि कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली के निर्देश पर केन्द्रीय जेल जगदलपुर में 16 सितम्बर 2019 से दाल-भात केन्द्र एवं 12 जुलाई 2019 से मंगोड़ी सेन्टर शुरू किया गया है। अब मुलाकाती अपनी इच्छानुसार दस रूपए में नाश्ता या भोजन कर सकते हैं। जेल में दाल-भात केन्द्र एवं मंगोड़ी सेन्टर शुरू होने से पहले कैदियों के परिजनों को भोजन और नाश्ता के लिए शहर जाना पड़ता था। अब यह व्यवस्था जेल में ही उपलब्ध हो जाने से मुलाकातियों को सुविधा हुई है। जिला एवं जेल प्रशासन के इस संवेदनशील पहल का कैदियों के परिजनों एवं कैदियों के अलावा सभी लोगों ने सराहना की है।
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केन्द्रीय जेल जगदलपुर जेल में निरूद्धं अपने पुत्र से मिलने पहुंचे बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखण्ड के ग्राम केशकुटूर निवासी श्री सुकारू उरसा ने केन्द्रीय जेल में शुरू किए गए दाल-भात एवं मंगोड़ी सेन्टर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब भी वे जेल में अपने पुत्र से मिलने आते है. तो यहां के दाल-भात केन्द्र में ही भोजन करते हैं। पहले दुकान में खाना और नाश्ता में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था। अब दस रूपए में भरपेट भोजन मिल जाता है।
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इसी तरह जेल में बंद अपने पुत्र से मिलने पहुंचे बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखण्ड के ग्राम केशकुटूर के ग्रामीण श्री रोड्डा माड़वी ने इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए जिला एवं जेल प्रशासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के शुरू होने से पहले उसे अपने पुत्र से मुलाकात करने के बाद भोजन एवं नाश्ता के लिए शहर जाना पड़ता था। कई बार उसे मुलाकात करने में समय लग जाने के कारण भोजन एवं नाश्ता का समय भी निकल जाता था। अब जेल में दाल-भात एवं मंगोड़ी सेन्टर खुल जाने से उसे समय पर भरपेट भोजन एवं नाश्ता मिल जाता है।
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