बागबाहरा से अजित पुन्ज
बागबाहरा-नगरीय निकाय चुनाव में नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों को आयोग द्वारा चिन्ह आबंटित किया गया है। वार्ड क्र. 13 में सबसे ज्यादा 05 प्रत्याशी हैं, वहीं वार्ड क्र.06 में सबसे कम 02 प्रत्याशी हैं। 15 वार्डों में कुल 47 प्रत्याशी मैदान में है। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में होने से चुनावी समीकरण में वे असर डाल सकते हैं। महिला अध्यक्ष के दावेदार भी वार्ड क्र.09 व 10 में त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हैं.
निर्दलीय प्रत्याशियों याने बागियों ने के नाक में दम कर दिया है। निर्दलीय प्रत्याशियों का कहना है कि वे जनता के मांग पर ही चुनावी मैदान में हैं। उनको मिल रहे जनसमर्थन के बल पर कहना मुश्किल होगा कि सियासत का ऊॅट किस करवट बैठेगा ? यह चुनाव सत्ताधारी दल कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है, भाजपा अपनी वापसी की उम्मीद भी इसी चुनाव में लगाये हुए है। चुनाव चिन्ह मिलते ही प्रत्याशियों का घर-घर जाकर जनसम्पर्क भी तेज हो गया, सुबह शाम घर-घर जाकर मतदाताओं से अपनी बात कर रहे हैं.
जहाॅ निवृत्तमान पार्षद अपने द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख करते हुए भविष्य में और बेहतर कार्य करने का भरोसा दिला रहे हैं, वहीं विरोधी उनकी खामियों व वार्ड के समस्याओं की ओर मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करते हुए क्षेत्र का सर्वांगीण विकास के साथ हर सुख-दुःख में अपनी सहभागिता का संकल्प दोहराते हैं। मतदाता भी सभी प्रत्याशियों की बात गम्भीरता पूर्वक सुनकर हाॅ में हाॅ मिला रहे हैं.
नगर पालिका क्षेत्र में अब तक जोंक नदी से आयरन मुक्त पेयजल की जलावर्धन योजना को लागू नहीं कर पाना जहाॅ चुनावी मुद्दा बन सकता है। वहीं वार्ड में साफ सफाई के नाम पर लाखों की राशि खर्च करने वाले प्रशासन में पार्षदों के सहभागिता पर भी मतदाता सवाल उठाना शुरू दिये हैं। वार्ड क्र.09 में स्थित मुक्तिधाम के अंदर फैली गंदगी और दुर्गंध के चलते वहाॅ रूकना बेहद कठिन है। लोगों की मानें तो वे यहाॅ के लोगों की मुक्ति के लिए आते हैं, लेकिन पता नहीं की इस मुक्ति धाम को, आसपास फैली गंदगी से कब मुक्ति मिलेगी.
बात नगर पालिका बागबाहरा की कि जावे तो यहाॅ पार्टी के साथ व्यक्तित्व की टकराहट भी है, निर्दलीय अपने बल पर किसी के भी समीकरण को प्रभावित कर सकने की स्थिति बनाने की कोशिश में है। राजनैतिक जानकार बताते हैं मुद्दा तो इस बार भी विकास बना हुआ है, राजनैतिक पण्डित कहते हैं- बागबाहरा को स्मार्ट सिटी में शामिल होने की घोषणा तो पहले ही हो चुकी है और इसका फायदा लेने की कोशिश सत्ता रूढ़ पार्टी कांग्रेस व केन्द्र में बैठी भाजपा, दोनों दल पूरी सिद्दत से करेंगी। नोटा के प्रति बढ़ते रूझान से सहम गये हैं दोनों राजनैतिक दल। नोटा से पता चलता है कि कितने मतदाता किसी भी प्रत्याशी से प्रसन्न नहीं है.
क्या होगा स्मार्ट सिटी में
बागबाहरा स्मार्ट शहरों में चुना गया है। स्मार्ट सिटी की जमीनी दिक्कतों को दूर करने के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छा शक्ति भी जरूरी होगी, वहीं शहर की जनता का सहयोग भी जरूरी होगा, तब शहर स्मार्ट बनेगा। स्मार्ट सिटी में 24 घण्टे पानी और बिजली सप्लाई हो पहली शर्त होती है। स्मार्ट सिटी में क्वालिटी आफ लाईफ को भी अमल में लाने के लिए शहर को देनी होगी। ये सुविधाऐं- ट्रांसपोर्ट, बिजली और पानी, हेल्थ, ऐजुकेशन, इन्वेस्टमेंट, रिहायशी व इम्प्लायमेंट इसके लिए समय सीमा भी तय होगी- 05 साल में प्रोजेक्ट पर अमल होना है.
नगर पालिका के पास नगर के प्यासे कण्ठों को तर करने का कोई प्लान नहीं-
बागबाहरा नगर के प्यासे कण्ठों को तर करने के लिए अब तक इस समस्या से निजात पाने के लिए निवृत्तमान पार्षदों के पास कोई जलावर्धन योजना का प्लान नहीं है। मार्च समाप्ति व अप्रैल से पेयजल समस्या विकराल रूप ले लेती है। निकाय के रहवासी पीने के पानी तक को मोहताज होने लगते हैं। नगर पालिका के अंतर्गत पानी की समस्या के लिए वार्डों एवं समीपस्थ ग्राम दारगाॅव में किये गये बोर पर ही लोगों को विगत 02 दशकों से निर्भर रहना पड़ रहा है.
बढ़ती आबादी के चलते शहर के नागरिकों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है, बोर के पानी से ही शहरवासियों को सप्लाई की जा रही है। गर्मी में भूमिगत जल स्तर गिरने से पानी की धार पतली और पानी मटमैला हो जाता है। जलसंकट से निपटने के लिए तो हर आम चुनाव में मंच पर प्लानिंग तो बनायी जाती है, लेकिन गत 03 दशकों से इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी है। लिहाजा शहर के लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है.
नगर की धरती की बूझे प्यास, तत्कालीन विधायक लक्ष्मीनारायण इन्दुरिया से लेकर चुन्नीलाल साहू के द्वारा जोंकनदी का जल लाने के वायदे तो जरूर किये गये कि नगर से 18 किलोमीटर दूर जोंक नदी से पेयजल की आपूर्ति की जायेगी, लेकिन नगरवासियों से जल आवर्धन योजना के इस दिवास्वप्न को साकार करने की दिशा में किसी ने सार्थक पहल नहीं की.
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— DNS (@DNS11502659) December 15, 2019