छत्तीसगढ़ अस्पृश्यता निवारणार्य अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना नियम 1978 (यथा संशोधित नियम 2019 के अनुसार) अंतर्जातीय विवाह करने वाले दम्पत्तियों को 2 लाख 50 हजार रूपए प्रोत्साहन राशि एवं प्रशंसा पत्र प्रदान की जायेगी। प्रोत्साहन राशि प्रति दम्पत्ति उनसे भुगतान पूर्व 10 रूपये के रसीद नान-ज्युडिशियल के स्टॉप पेपर पर प्राप्त होने पर एक लाख रूपए दम्पत्ति के संयुक्त बैंक खाते में आरटीजीएस अथवा एनईएफटी के माध्यम से जमा कराया जाएगा। शेष डेढ़ लाख रूपए दम्पत्ति के संयुक्त नाम एवं सहायक यायुक्त आदिवासी विकास के पद नाम के संयुक्त रूप से राष्ट्रीयकृत बैंक में 3 वर्ष के लिए फिक्स डिपोजिट रखा जाएगा। एफडी संबंधित सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की शासकीय अभिरक्षा में रहेगी। एफडी की निर्धारित अवधि समाप्ति के अधिकतम 2 वर्ष के भीतर दम्पत्ति द्वारा स्वयं उपस्थित होकर राशि प्राप्त करनी होगी अन्यथा एफडी आहरित कर राशि शासकीय खजाने में जमा कर दी जाएगी। दम्पत्ति में से किसी एक की मृत्यु की दशा में जीवित सदस्य को एफडी की राशि का भुगतान किया जाएगा.
अधिकारियों ने आज यहां बताया कि अंतर्जातिय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत प्रदान की जाने वाली राशि के लिए आवेदन दम्पत्ति में से जो अनुसूचित जाति वर्ग का है जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के जिस जिले से मूल्य निवास एवं जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है उसी जिले के कलेक्टर अथवा सहायक आयुक्त आदिवसी विकास विभाग के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते है। आवेदक दम्पत्ति मेें से अनुसूचित जाति सदस्य को अनुसूचित जाति का सक्षम अधिकारी द्वारा जारी स्थाई प्रमाण पत्र की सत्यापित छायाप्रति तथा गैर अनुसूचित जाति सदस्य को गैर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र संसद सदस्य, विधानसभा सदस्य, कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, नगर निगम एवं नगर पालिका अध्यक्ष से प्राप्त प्रामाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत करना होगा। प्रोत्साहन राशि पात्रता के लिए अंतर्जातीय विवाह करने की तिथि से एक वर्ष की अवधि के अन्दर आवेदन करना होगा.
अधिकारियों ने बताया कि अंतर्जातीय विवाह को हिन्दु मैरिज एक्ट-1955 के तहत सक्षम अधिकारी के कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। दम्पत्ति में से किसी की भी आयु 35 वर्ष से अधिक न हो तथा युवक की आयु 21 वर्ष तथा युवती की आयु 18 वर्ष से कम न हो। दम्पत्ति में से अनुसूचित जाति के व्यक्ति को छत्तीसगढ़ का मूल्य निवासी अनिवार्य है। दम्पत्ति में से कोई भी छत्तीसगढ़ अथवा अन्य किसी भी राज्य से ऐसी किसी योजना से लाभान्वित न हुआ हो। द्वितीय विवाह पर कोई राशि देय नहीं होगी। परंतु विधवा महिला द्वारा पुनर्विवाह करने पर इस योजना का लाभ लेने के पात्र होगी। केन्द्र अथवा राज्य सरकार में से किसी एक योजना का ही लाभ लिया जा सकता है। आवेदन पत्रों की छानबीन कलेक्टर द्वारा अधिकृत अधिकारी, उपसंचालक, समाज कल्याण तथा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की तीन सदस्यीय छानबीन समिति द्वारा की जाएगी.