Home खास खबर ​​​​​​​पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए  उपचारात्मक शिक्षण की नवाचारी पहल

​​​​​​​पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए  उपचारात्मक शिक्षण की नवाचारी पहल

रायपुर:प्राथमिक शालाओं में विशेषकर पहली और दूसरी कक्षा बहुत संवेदनशील कक्षाएं होती है। इस दौरान बेसिक मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाए तो उनका शाला त्यागी बनना या हमेशा आगे पिछड़ते जाना एक सामान्य प्रक्रिया बन जाती है। ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें समय रहते आवश्यक समर्थन प्रदान कर उनके कक्षा अनुरूप तैयार करने, नियमित बनाए रखने के लिए जिले में एक कार्यक्रम प्रस्तावित कर जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य डाइट और जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा के व्यक्तिगत नेतृत्व में आयोजित किए जाने के लिए नवचारी प्रस्ताव तत्काल देने के निर्देश प्रबंधन संचालक समग्र शिक्षा ने दिए हैं। निर्देश में कहा गया है कि जिले में ऐसे बच्चों की पहचान कर विभिन्न स्तर पर कार्य कर रहें इच्छुक लोगों से प्रस्ताव लेकर तत्काल उसका परीक्षण कर बेहतर नवाचारी प्रस्तावों को स्वीकृत कर शीघ्र भेंजे.

  प्रबंधन संचालक समग्र शिक्षा ने संबंधितों को इस प्रकार की प्रक्रिया अपनाने कहा है जिसमें डाइट के विद्यार्थियों को निकट के लैब शालाओ या उनके गावों के कक्षा एक और दो के बच्चों उनके कक्षा अनुरूप स्तर तक लाने की जिम्मेदारी देने। साक्षरता के प्रेरकों के माध्यम से उनके गांवों के ऐसे बच्चों को उन्हें शाला में नियमित बनाए रखने की जिम्मेदारी। सामुदाय से ऐसे लोगों जो इस कार्य के लिए इच्छुक हो, का चिन्हांकन कर उन्हें ऐसे कार्याें के लिए जिम्मेदारी दी जाए। शिक्षकों द्वारा अपने पीछे छूट रहे विद्यार्थियों के लिए अलग से समय देकर उन्हें नियमित बनाए रखना शामिल है। इस प्रकार के कार्याें से जुडे इच्छुक लोगो से प्रस्ताव मंगवाकर उनका परीक्षण कर खुद प्रस्ताव का चयन कर उन्हें इस कार्य के लिए जिम्मेदारी देनी होगी। पूरे कार्यक्रम में प्रक्रियाओं को कम से कम रखा जाकर बच्चों के लर्निंग आउटकम पर प्रगति पर अधिक फोकस किया जाए.

कार्यक्रय के लिए जिन प्रक्रियाओं का पालन किया जाना प्रस्तावित है, उनमें- ऐसे इच्छुक लोगों से प्रस्ताव मंगवाया जाना, प्रस्ताव का परीक्षण कर निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप प्रस्तावों पर सहमति प्रदान करना। डाईट के विद्यार्थियों के लिए डाईट के किसी अकादमिक सदस्यों को जिम्मेदारी देकर उन्हें उपचारात्मक शिक्षक के लिए उन्मुखीकृत करना एवं जिम्मेदारी देकर निगरानी रखना। साक्षारता के प्ररेक के लिए उनके सुपरवाइजर अथवा उच्चा अधिकारियों द्वारा प्रमाणीकरण और आवश्यक समर्थन प्रदान कर निगरानी रखना। शिक्षकों अथवा सामुदायिक सदस्यों से प्राप्त प्रस्तावों के लिए संबंधित समन्वयक द्वारा आवश्यक समर्थन प्रदान कर निगरानी रखना। ऐसे कार्य के लिए जुड़े सभी लोगों को राज्य स्तर से एक गु्रप में जोड़कर लगातार समर्थन प्रदान करना, क्षमता संवर्धन एवं आवश्यक जानकारी लगातार देते रहना। उपचारात्मक शिक्षण के लिए चयनित विद्यार्थियों का व्यक्तिगत प्रोफाइल और विभिन्न दक्षताओं को हासिल किए जाने का प्रमाणीकरण। कुल की गई कक्षाओं का दिवसवार विवरण और उपयोग में लायी गई प्रविधियों के विषय में जानकारी देना आदि शामिल है.