उच्चतम न्यायालय ने आज निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चार मुजरिमों में से एक मुकेश सिंह की याचिका स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। अपनी याचिका में मुकेश ने यह आरोप लगाते हुए कानूनी उपचार बहाली की मांग की थी कि उसके पूर्व वकील ने कागज़ों पर उससे जोर जबर्दस्ती दस्तखत कराए थे।
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न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की पीठ ने मुकेश की ओर से पैरवी करने वाले वकील एम.एल. शर्मा की दलीलें सुनीं और याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले में पुनरीक्षण याचिका और क्यूरेटिव याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 9 जुलाई 2018 को अपने फैसले के खिलाफ मुकेश की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी। बाद में उसकी क्यूरेटिव याचिका भी खारिज हुई और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसकी दया याचिका को भी अस्वीकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा कि जब संबंधित व्यक्ति ने क्यूरेटिव याचिका पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, तो बाद में वह यह नहीं कह सकता कि यह दायर ही नहीं की गई थी।
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