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मोदी सरकार की मंशा साफ है तो MSP व मंडी व्यवस्था को कानून बना दे-द्वारिकाधीश

विवाद की जड़ में तीन चीजें है।कंपनी सही रेट देगी तो ये कैसे तय,किसान कंपनी के चंगुल में न फंस जाए और अगर कंपनी और किसान में विवाद हुआ तो कोर्ट जाने की छूट क्यों नही है।

MLA Khallari

अजित पुंज-बागबाहरा

बागबाहरा- संसदीय सचिव व खल्लारी के युवा विधायक द्वारिकाधीश ने तीन नए कृषि अध्यादेशों का विरोध करते हुए कहा कोरोना आपदा के संकट में ऐसे कानूनों को लाना, किसानो की आवाज़ को दबाना है,यह लोकतंत्र की हत्या है । उन्होंने तीन कृषि अध्यादेशों का विरोध करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार किसानों को समर्थन मूल्य के साथ बोनस भी देते आ रही है जिसे मोदी सरकार व भाजपा के लोग रोक न सके तो इसके खिलाफ कानून लेकर आ गए।

इस साजिश में छत्तीसगढ़ भाजपा के 9 सांसदों ने भी समर्थन दे कर छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ धोखा किया है।केंद्र सरकार के इन तीनों अध्यादेश से मंडी,मज़दूर और किसान खत्म हो जावेंगे वैसे भी कृषि राज्य का विषय है लेकिन केंद्र सरकार बड़ी कंपनियों को फायदा पहुचने की नीयत से इस तरह का कानून लेकर आई है ।

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सांकेतिक फ़ाइल् फोटो

मोदी सरकार इन अध्यादेशों के माध्यम से किसानों को मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य को बन्द करा दिया है। उन्होंने इस संबंध में कई भाजपा नेताओं ने अपना नाम प्रकाशित नही करने की शर्त पर विधायक यादव ने खुलासा किया कि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार जिस तरह से किसानों के हित में एक के बाद एक निर्णय लेकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में लगी हुई है, उससे केंद्र में मोदी के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही थी।

मोदी को डर था कि अगर भूपेश सरकार के इस मॉडल को अन्य राज्यों ने भी कहीं अपना लिया तो आने वाले चुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ होना तय है और यही वजह है,की केन्द्र ने इन नए अध्यादेशों से किसानों के फसल के बिक्री में सरकार का नियंत्रण ही समाप्त कर दिया।

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संसदीय सचिव यादव ने दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के प्रावधान पर कहा, 85 प्रतिशत छोटे किसान एक ज़िले से दूसरे ज़िले में नहीं जाते, तो किसी दूसरे राज्य में जाने का सवाल ही नहीं उठता। प्रदेश में किसानों को उनकी फसल को ,यहाँ न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से कीमत तो मिलती ही थी साथ में बोनस भी, पर अब किसानों को उनके उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य नही मिलने के कारण, वे कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हो जायेंगे।

संसदीय सचिव यादव ने जिस अनुबंध खेती को किसानों की किस्मत बदलने वाला बता रही है।किसान संगठनों का कहना है इस कानून से खेती पर अडानी अम्बानी जैसे कार्पोरेट्स हावी हो जावेंगे, किसान मजदूर बन कर रह जाएँगे।अनुबंध खेती तभी लाभकारी होगी जब इसे किसान केंद्रित बनाया जावेगा।

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कृषि बिल का सबसे बड़ा नुक़सान आने वाले समय में ये होगा कि मंडियां खत्म होने लगेंगी। मंडी व्यवस्था खत्म होने से व्यापारियों की मनमानी और बढ़ जाएगी और वे औने- पौने दाम पर किसानों की फसल खरीदेंगे, क्योंकि किसानों के पास कोई विकल्प नहीं होगा।सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन जारी की है। लेकिन कहीं भी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा भाजपा शहरी क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रोँ में खेती कर रहे किसानों को और भी कमजोर करना चाह रही है।

अन्नदाता आशंकित है,कारपोरेट अगर खेती करने लगेगा तो फिर किसान क्या करेगा? जिन देशों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को अपनाया है वंहा किसानों की हालत अच्छी नहीं है, इसका जीता जागता उदाहरण ब्राज़ील है।संसदीय सचिव यादव ने कहा एमएसपी को लेकर मोदी सरकार की मंशा यदि साफ है तो फिर इसे क़ानूनी रूप क्यों नहीं दिया जाता कि इतने से कम दाम में किसी फ़सल की ख़रीदारी नहीं होगी।विधायक यादव ने कहा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 ,जिसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी व कालाबाज़ारी रोकने के लिए बनाया गया था किंतु पीएम मोदी ने इस अधिनियम को हटा कर बड़े उद्योगपतियों को छूट दे रहे है।

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