रामकथामृत सरिता का भव्य आयोजन किया मुड़ागाँव व् तुपकबोरा के ग्रामवासियों ने

– पेड़ों से मितान बदना ,रिश्तेदारी बनाना,हर शुभकार्यों मे पूजा कर पेड़ों कों निमंत्रण देना ये सब हमारी परंपराओं मे संस्कृति में शामिल है,यह सब पेड़ों में जीवन होने के प्रमाण हैं-

 

बागबाहरा – विकासखंड के ग्राम मुडा गांव,पंचायत तुपक बोरा में ग्रामवासियों द्वारा 9 दिवसीय रामकथामृत सरिता का भव्य आयोजन ग्रामवासियों के द्वारा किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित ख्यातिप्राप्त छत्तीसगढ़ी कवि गोवर्धनलाल बघेल ने निरंतर 9 दिनों तक आदर्श लीला मंडली रंगमंच  में रामकथा की संगीतमय प्रस्तुति के साथ व्याख्या किया । उन्होंने संगीत पार्टी  के पन्नालाल बघेल , ठाकुरराम , मानिक राम ,कृपाराम , दिनेश एवम् साथियों के सुमधुर संगीत के साथ प्रेम ,करुणा , दया , मानव सद्भावना ,धरती माता ,प्रकृति संरक्षण सहित अन्य जीवनोपयोगी विषयों पर केन्द्रित एवम् मानस अमृत पर सरल भाषा में सारगर्भित व्याख्या किया जो श्रोता एवम् जनमानस के लिए मर्मस्पर्शी बना.

इस कार्यक्रम में रेन सिंग-लक्ष्मीबाई साहू ,लखनलाल -प्रितीबाई , टीकाराम चंद्राकर -चंद्रावली चंद्राकर, मोहन ठाकुर – संध्या ठाकुर ने यजमान  की भूमिका में नित्य पूजा पाठ सम्पन्न किया एवम् आहुतियां दी । बागबाहरा से विशेष रूप से पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ पाणिग्राही द्वारा पूर्णाहुति समर्पित कर हवन पूजन पूर्ण किया । पूर्णाहुति पश्चात पाणीग्राही ग्रीन केयर द्वारा चलाए जा रहे पीपल फार पीपल अभियान के बारे में बताते हुए हर गांव में पीपल रोपित करने आव्हान किया । इसके बाद पाणीग्राही ने प्लास्टिक के दुर्गुणों को बताते हुए प्लास्टिक का उपयोग बंद करने आव्हान किया.

पाणीग्राही ने बताया कि सांसद चुन्नीलाल साहू ने पौधारोपण एवम् पर्यावरण चर्चा के समय एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें भी यह एहसास हुआ एवम् प्रमाण मिले हैं ।अपने बाल्यकाल की घटना का स्मरण करते हुए बताया कि मुझे जब भेलवा की एलर्जी हो जाती थी तो मेरे पिताजी एक बैगा के पास ले जाते थे तब वह फुक मारकर पेड़ का स्मरण कर ठीक कर देता था ।कालांतर में बैगा नहीं रहा । डाक्टरों की दवाइयां काम नहीं करती थी। बच्चों के विशेषज्ञ डाक्टर डा एस पी अग्रवाल ने बताया था कि भेल्वा पेड़ के नीचे जाना अगरबत्ती नारियल से पूजा कर पेड़ से बात करते हुए बोलना कि है वृक्ष देव मेरे पुत्र के इस पीड़ा को ठीक कर दो । मेरे पिताजी ने वैसा ही किया एवम् पेड़ से विनय पूर्वक प्रार्थना किए ।मुझे उसके बाद भेेलवा की एलर्जी कभी नहीं हुई । पेड़ों से मितान बदना ,रिश्तेदारी बनाना । हर शुभकार्यों मे पूजा कर पेड़ों कों  निमंत्रण देना ये सब हमारी परंपराओं मे संस्कृति में शामिल है ।यह सब पेड़ों में जीवन होने के प्रमाण हैं ।

रामकथा सम्पन्न कराने में शिव बरिहा ,मोहन सिंह ,नारायण लाल ठाकुर ,सोहन ,लक्ष्मीबाई ,जुगबाई ,मालती बाई ,तुलसीराम ,देवनाथ,जस्सू, पांचों बाई दसोदा , दुर्गा बाई ,प्रकाश , संतोष , पीताम्बर ,पारस ,दवेलाल ,कुमारी बाई ,ड्रूपती बाई शांति बाई ,निर्मला ,भानु ,गंगाराम ,लखन,दया , मीना , राजा ,विवेक ,कुलेश ,मानसिंह ,लीलाधर , सालिक राम ध्रुव, टीकाराम चंद्राकर ,इतवारी ,मिलन ,जग्गू ,धनंजय सहित मुड़ा गांव एवम् तुपक बोरा ग्राम वासियों का भरपूर सहयोग मिला ।